क्या जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद मोदी के वादों पर भरोसा जताया?
सारांश
Key Takeaways
- एनडीए की जीत बिहार की राजनीतिक स्थिति को मजबूत करती है।
- पीएम मोदी के वादों पर मांझी ने विश्वास जताया।
- प्रशांत किशोर को संन्यास लेने की सलाह दी गई।
- विपक्ष को अपनी गलतियों का मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।
- ईवीएम पर उठाए गए सवाल केवल बहानेबाजी हैं।
पटना, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की शानदार जीत और 20 नवंबर को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी के भाग लेने पर केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने वादों के प्रति गंभीर हैं।
जीतन राम मांझी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि चुनाव प्रचार के अंतिम दिन पीएम मोदी ने एक रैली में कहा था कि वह शपथ ग्रहण समारोह में सम्मिलित होंगे। इससे यह स्पष्ट है कि उन्हें बिहार में एनडीए की सरकार बनने का पूरा यकीन था और मुख्यमंत्री भी एनडीए का ही होगा। 20 तारीख को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में उनका स्वागत होगा। उनका आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ रहा है। बिहार हर क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। अगले पांच वर्षों के लिए बिहार में फिर से एनडीए की सरकार बनेगी। अगर उनका आशीर्वाद बना रहा, तो बिहार विकसित राज्य बनने की दिशा में तेजी से बढ़ेगा। हम उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं।
जन सुराज पार्टी के अध्यक्ष प्रशांत किशोर पर जीतन राम मांझी ने टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रशांत किशोर एक वचनहीन व्यक्ति हैं। उन्होंने कहा था कि यदि नीतीश कुमार 25 से अधिक सीटें लेकर आएंगे तो वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे, इसलिए अब उन्हें संन्यास लेना चाहिए।
नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद मांझी ने कहा कि यह एक औपचारिक मुलाकात थी। चुनाव जीतने के बाद बधाई देने के लिए मिले थे। चुनाव के बाद हम दिल्ली चले गए थे, लौटने पर हमने समय मांगा, उनसे मिलकर बधाई दी और जीत की रणनीति पर चर्चा की।
बिहार में विपक्ष को मिली हार पर जीतन राम मांझी ने कहा कि हारने वाला व्यक्ति अक्सर दूसरों पर आरोप लगाता है। हालांकि, जनता के फैसले का सम्मान करना चाहिए। उन्हें अपनी गलतियों का मूल्यांकन करना चाहिए। ईवीएम पर सवाल उठाना सिर्फ बहानेबाजी है। यहां एनडीए को 202 सीटें मिली हैं। नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। विपक्ष के लोग कभी एसआईआर पर सवाल उठाते हैं, कभी पीएम मोदी के खिलाफ अनर्गल भाषा का प्रयोग करते हैं, और कभी छठ पर्व को नाटक कहते हैं। अब ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं। वे अपने कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करने के लिए बहाने बना रहे हैं।