क्या जेएनयू आंतरिक समिति चुनाव के नतीजे घोषित हुए? तीन छात्र प्रतिनिधि चुने गए
सारांश
Key Takeaways
- जेएनयू में आंतरिक समिति चुनाव के नतीजे प्रकाशित हुए हैं।
- तीन छात्र प्रतिनिधियों का चयन किया गया है।
- मतदान में 67 प्रतिशत छात्रों ने भाग लिया।
- समिति में कुल 9 सदस्य होते हैं।
- छात्र प्रतिनिधियों का चयन चुनाव के माध्यम से किया जाता है।
नई दिल्ली, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के डीन ऑफ स्टूडेंट्स कार्यालय ने बुधवार को आंतरिक समिति चुनाव के परिणामों की औपचारिक घोषणा की। इस चुनाव में तीन प्रतिनिधियों का चयन स्नातक, परास्नातक और पीएचडी वर्गों से किया गया है।
डीन ऑफ स्टूडेंट्स मनुराधा चौधरी ने बताया कि स्नातक (यूजी) श्रेणी से गर्विता गांधी, परास्नातक (पीजी) श्रेणी से श्रुति वर्मा और पीएचडी श्रेणी से परन अमितावा को छात्र प्रतिनिधि के रूप में चुना गया है। ये तीनों छात्र विश्वविद्यालय की आंतरिक समिति में अपने-अपने वर्गों का प्रतिनिधित्व करेंगे।
जेएनयू आंतरिक समिति चुनाव के लिए मंगलवार को वोटिंग हुई थी। 25 अक्टूबर को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने आंतरिक समिति चुनाव का शेड्यूल जारी किया था। 28 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच की गई। इसके बाद 4 नवंबर को मतदान संपन्न हुआ।
मंगलवार को नए केंद्रीय पैनल और स्कूल पार्षदों के लिए भी मतदान हुआ। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में लगभग 67 प्रतिशत छात्रों ने मत का उपयोग किया। मतदान सुबह 9 बजे शुरू हुआ और दिन भर चला। केंद्रीय पैनल के चार पदों (अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव) के लिए कुल 20 उम्मीदवार चुनाव में उतरे हैं।
समिति के अनुसार, इस साल 9,043 छात्र मतदान के पात्र थे। मतदान के बाद मंगलवार रात को मतगणना शुरू हुई। बुधवार सुबह नतीजे घोषित किए गए। हालांकि, अंतिम परिणाम 6 नवंबर को आएंगे।
जेएनयू की आंतरिक समिति में 9 सदस्य होते हैं। इसे आंतरिक शिकायत समिति भी कहा जाता है। तीन छात्रों को भी इस समिति में शामिल किया जाता है, लेकिन उनका चयन चुनाव के माध्यम से होता है। तीन छात्रों में दो महिलाएं और एक पुरुष शामिल किया जाता है। अन्य छह सदस्यों का चयन प्रशासन द्वारा किया जाता है।
हालांकि, इस बार छात्र प्रतिनिधियों के चुनाव में नियमों को लेकर विवाद हुआ और यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट भी गया। हाईकोर्ट ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने वाली आंतरिक समिति (आईसी) के छात्र प्रतिनिधियों के चुनाव में छात्रों को मतदान करने की अनुमति दी गई थी।