क्या जो राम का विरोध करेगा, उसका राजनीतिक अस्तित्व रावण की तरह मिट जाएगा?

सारांश
Key Takeaways
- राम के प्रति सम्मान का महत्व
- राजनीतिक बयानबाजी के धार्मिक प्रभाव
- सामाजिक सद्भाव की आवश्यकता
- धार्मिक आस्था का संरक्षण
- भाजपा की सेवा की राजनीति
फर्रुखाबाद, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी के नेता डॉ. नवल किशोर शाक्य के विवादास्पद बयान पर भाजपा सांसद मुकेश राजपूत ने कड़ा जवाब दिया है। उन्होंने नवल किशोर के बयान की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि जो राम का नहीं, वह किसी काम का नहीं।
सांसद मुकेश राजपूत ने सपा नेता के इस बयान को असंवेदनशील और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस हमेशा ऐसी राजनीति करती है, जिसका मकसद लोगों की आस्था को आहत करना और समाज में भ्रम फैलाना होता है।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने ‘मिले मुलायम कांशीराम’ का नारा दिया था, वे अब इस दुनिया में नहीं हैं। उस नारे का अब कोई महत्व नहीं है, लेकिन भगवान श्रीराम आज भी हर भक्त के हृदय में जीवित हैं।
मुकेश राजपूत ने आगे कहा कि भगवान राम पहले टेंट में विराजमान थे और अब अयोध्या के भव्य श्रीराम मंदिर में प्रतिष्ठित हैं। राम मंदिर में दर्शन करने वालों की संख्या ने विश्व रिकॉर्ड बना दिया है। इतने श्रद्धालु आज तक किसी भी मंदिर में दर्शन के लिए नहीं पहुंचे हैं।
सांसद ने नवल किशोर शाक्य पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि जो राम का नहीं, वह किसी काम का नहीं। उन्होंने रावण का उदाहरण देते हुए कहा कि रावण ने भी भगवान राम का विरोध किया था। उसके एक लाख पुत्र और सवा लाख नाती थे, लेकिन उसका वंश समाप्त हो गया। घर में दीया-बाती जलाने वाला तक कोई नहीं बचा।
राजपूत ने कहा कि जो भी नेता या राजनीतिक दल भगवान राम का अपमान करेंगे, उनका भी वही हाल होगा। जिनके दिलों में भगवान राम के प्रति सम्मान नहीं है, उनके घरों में भी दिया-बाती जलाने वाला कोई नहीं बचेगा।
उन्होंने कहा कि भाजपा की राजनीति सेवा और राष्ट्र निर्माण की है, जबकि विपक्ष सिर्फ धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ कर समाज को बांटने का काम करता है। उन्होंने कहा कि राम हमारी आस्था के केंद्र हैं और जो राम का विरोध करेगा, उसका राजनीतिक अस्तित्व भी रावण की तरह मिट जाएगा।
दरअसल, डॉ. नवल किशोर ने हाल ही में सिद्धार्थनगर में एक कार्यक्रम के दौरान मंच से कहा था 'मिले मुलायम कांशीराम, हवा उड़ गए जय श्रीराम।' यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसके बाद हिंदू संगठनों और भाजपा नेताओं ने इसे भगवान राम का अपमान बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया।