क्या जेपीएससी सिविल सेवा के रिजल्ट को चुनौती देने वाला झारखंड हाईकोर्ट का आदेश नियुक्ति प्रक्रिया को प्रभावित करेगा?

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क्या जेपीएससी सिविल सेवा के रिजल्ट को चुनौती देने वाला झारखंड हाईकोर्ट का आदेश नियुक्ति प्रक्रिया को प्रभावित करेगा?

सारांश

झारखंड हाईकोर्ट ने जेपीएससी की 11वीं सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। अदालत का निर्णय नियुक्ति प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। जानें पूरी खबर के बारे में।

Key Takeaways

  • नियुक्ति प्रक्रिया अदालत के निर्णय से प्रभावित होगी।
  • 54 अभ्यर्थियों ने याचिका दायर की है।
  • डिजिटल मूल्यांकन की प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए हैं।
  • अदालत ने जेपीएससी को समयसीमा दी है।
  • मुख्य परीक्षा का परिणाम 20 मई, 2025 को जारी किया गया था।

रांची, 2 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड हाईकोर्ट ने झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की 11वीं सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को यह आदेश दिया कि नियुक्ति प्रक्रिया अदालत के अंतिम निर्णय से प्रभावित होगी।

चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत तथ्यों को ध्यान में रखते हुए जेपीएससी को निर्देश दिया है कि वह अगली तारीख तक काउंटर एफिडेविट प्रस्तुत करे। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि आयोग समय पर जवाब नहीं देता है तो उसे बाद में सुनवाई का अवसर नहीं मिलेगा।

इस मामले में राजेश प्रसाद सहित कुल 54 अभ्यर्थियों ने याचिका दायर की है। याचिकाओं में परीक्षा से संबंधित 2024 में जारी विज्ञापन और नियमों का उल्लेख करते हुए मेरिट लिस्ट पर कई आपत्तियां उठाई गई हैं।

याचिका में कहा गया है कि इस सिविल सेवा परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का डिजिटल मूल्यांकन कराया गया, जबकि इसका कोई प्रावधान नियमावली में नहीं है। मूल्यांकन में थर्ड पार्टी एजेंसी की सेवा ली गई, लेकिन यह थर्ड पार्टी एजेंसी कौन है और उसे यह कार्य किस टेंडर के आधार पर सौंपा गया, इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है।

प्रार्थियों ने याचिका में बताया है कि नियमों के अनुसार उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन विश्वविद्यालयों से संबद्ध कॉलेजों में 10 साल से अधिक अनुभव वाले शिक्षकों या 5 साल से अधिक अनुभव वाले पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री होल्डर शिक्षकों से कराया जाना चाहिए था। लेकिन उन्हें जानकारी मिली है कि मात्र 2 साल अनुभव वाले गेस्ट फैकल्टी से उत्तर पुस्तिकाओं की जांच कराई गई।

प्रार्थियों ने मुख्य परीक्षा की मेरिट लिस्ट को खारिज करते हुए उत्तर पुस्तिकाओं का फिर से मूल्यांकन कराने की मांग की है। अभ्यर्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार और अधिवक्ता कुमार हर्ष ने अदालत में बहस की और परिणाम को त्रुटिपूर्ण बताया।

जेपीएससी की 11वीं से 13वीं सिविल सेवा की परीक्षा का विज्ञापन वर्ष 2024 के जनवरी में जारी हुआ था। इसकी प्रारंभिक परीक्षा इसी वर्ष मार्च में आयोजित की गई थी, जिसमें साढ़े तीन लाख से भी ज्यादा परीक्षार्थी शामिल हुए थे। इसका रिजल्ट 22 अप्रैल को जारी किया गया था। रिजल्ट के आधार पर 7,011 परीक्षार्थी मुख्य परीक्षा में शामिल होने के लिए चयनित हुए थे।

इसके बाद मुख्य परीक्षा 22 से 24 जून, 2024 तक विभिन्न केंद्रों में आयोजित हुई थी, जिसका परिणाम 20 मई, 2025 को जारी किया गया। इसके आधार पर साक्षात्कार आयोजित हुआ और पिछले महीने अंतिम रूप से सफल अभ्यर्थियों की मेरिट लिस्ट जारी कर दी गई।

Point of View

बल्कि पूरे देश में सरकारी नियुक्तियों की प्रक्रिया पर भी इसके गहरे प्रभाव हो सकते हैं। इस प्रकार के निर्णय से न्यायालय की भूमिका और पारदर्शिता पर प्रश्न उठता है।
NationPress
02/09/2025

Frequently Asked Questions

जेपीएससी की 11वीं सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम को चुनौती क्यों दी गई?
याचिकाओं में परीक्षा के नियमों के उल्लंघन और उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन की प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए थे।
झारखंड हाईकोर्ट का आदेश क्या है?
अदालत ने आयोग को निर्देश दिया है कि वह नियुक्ति प्रक्रिया के चलते काउंटर एफिडेविट प्रस्तुत करे।
इस मामले में कितने अभ्यर्थियों ने याचिका दायर की है?
कुल 54 अभ्यर्थियों ने इस मामले में याचिका दायर की है।
क्या आयोग को समय पर जवाब नहीं देने पर कोई परिणाम होगा?
हाँ, यदि आयोग समय पर जवाब नहीं देता है तो उसे सुनवाई का दूसरा अवसर नहीं मिलेगा।
मुख्य परीक्षा का परिणाम कब जारी किया गया था?
मुख्य परीक्षा का परिणाम 20 मई, 2025 को जारी किया गया था।