क्या जुलूस-ए-मोहम्मदी में डीजे और डांस हराम हैं? मौलाना रजवी की नसीहत

सारांश
Key Takeaways
- जुलूस-ए-मोहम्मदी एक पवित्र दिन है।
- डीजे और डांस हराम हैं।
- आमंत्रण का उद्देश्य पैगंबर का पैगाम-ए-अमन है।
- भड़काऊ नारों से दूर रहना चाहिए।
- पवित्रता बनाए रखनी आवश्यक है।
बरेली, 1 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर जुलूस-ए-मोहम्मदी का आयोजन किया जाएगा। इसको लेकर सभी तैयारियां जोरों पर हैं। इसी बीच, ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने अपने एक बयान में कहा है कि जुलूस-ए-मोहम्मदी एक पवित्र दिन है, जिसे शरीयत की सीमाओं में रहकर मनाना चाहिए।
उन्होंने नौजवानों को सलाह दी कि वे डीजे, नाच-गाने और हुल्लड़बाजी जैसे हराम कार्यों से दूर रहें। मौलाना रजवी ने कहा कि जुलूस-ए-मोहम्मदी इस्लाम के पैगंबर के जन्मदिन की खुशी का प्रतीक है और यह मुसलमानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण खुशी है। इसे अमन, भाईचारे और पाकीजगी के साथ मनाना आवश्यक है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपने घरों और धार्मिक स्थलों को सजाकर इस खुशी को व्यक्त करें, ताकि इसकी पवित्रता बनी रहे।
उन्होंने जुलूस के आयोजकों को निर्देश दिया कि इसमें किसी भी प्रकार का भड़काऊ नारा या बयान नहीं दिया जाना चाहिए। नमाज समय पर अदा की जानी चाहिए और खाना बांटते समय कोई बेहुरमती नहीं होनी चाहिए। इस दिन का असली उद्देश्य पैगंबर का पैगाम-ए-अमन पूरी दुनिया तक पहुंचाना है, इसलिए हर मुसलमान को जिम्मेदारी और अनुशासन का परिचय देना चाहिए।
कुरान और हदीस का हवाला देते हुए मौलाना ने कहा कि आजकल कुछ नौजवान जुलूसों और उर्स के अवसर पर डीजे बजाकर नात शरीफ की आवाज में डांस करते हैं, हाथों में रुमाल लहराते हैं और हुल्लड़बाजी करते हैं। शरीयत की दृष्टि से यह सभी कार्य नाजायज और हराम हैं। उन्होंने गाना-बजाना और डांस को शैतानी अमल बताते हुए कहा कि यह जुलूस की पवित्रता को नुकसान पहुंचाते हैं और पैगंबर की शिक्षा के खिलाफ हैं।
मौलाना रजवी ने स्पष्ट कहा कि यदि कोई व्यक्ति बाज न आए और डीजे लेकर जुलूस में शामिल होने का प्रयास करे तो उसे बाहर कर दिया जाए। उन्होंने जिम्मेदार अंजुमनों से अपील की कि जुलूस के दौरान अमन और शांति बनाए रखना उनका प्राथमिक कर्तव्य है। जुलूस-ए-मोहम्मदी एक बहुत पाक और सफाई-सुथराई वाला दिन है। इस दिन हर मुसलमान को चाहिए कि वह नाजायज और हराम कार्यों से दूर रहते हुए पैगंबर का पैगाम-ए-अमन पूरी दुनिया तक पहुंचाए। हमें कयामत के दिन खुदा और रसूल को मुंह दिखाना है, इसलिए किसी भी प्रकार का ऐसा कार्य न करें, जिससे पैगंबर नाराज हों।