क्या जस्टिस सूर्यकांत देश के 53वें चीफ जस्टिस बने?
सारांश
Key Takeaways
- जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर 2023 को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश बने।
- उनका जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा में हुआ था।
- उन्होंने 1984 में विधि की पढ़ाई शुरू की और पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की।
- वे पहले हरियाणा के एडवोकेट जनरल रह चुके हैं।
- उनका अनुभव न्यायपालिका को नई दिशा देगा।
नई दिल्ली, 24 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को भारत के नए मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें इस पद की शपथ दिलाई। शपथ लेने के बाद वह देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश बन गए हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में भारत के नए मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत को पद की शपथ दिलाई।
इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई समेत अन्य कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
जस्टिस सूर्यकांत ने सीजेआई भूषण आर गवई की जगह ली है। राष्ट्रपति मुर्मू ने सीजेआई गवई की सिफारिश के बाद संविधान के आर्टिकल 124 के क्लॉज (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए जस्टिस सूर्यकांत को भारत का अगला चीफ जस्टिस नियुक्त किया।
जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने 1984 में हिसार से अपनी विधि यात्रा प्रारंभ की और फिर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करना शुरू किया। इस दौरान उन्होंने कई प्रकार के संवैधानिक, सेवा एवं नागरिक मामलों को संभाला, जिसमें विश्वविद्यालय, बोर्ड, निगम, बैंक और यहाँ तक कि स्वयं हाईकोर्ट का भी प्रतिनिधित्व किया।
जुलाई 2000 में उन्हें हरियाणा का सबसे कम उम्र का एडवोकेट जनरल बनाया गया। इसके बाद, 2001 में उन्हें सीनियर एडवोकेट बनाया गया और 9 जनवरी 2004 को वे पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के परमानेंट जज बन गए।
बाद में, उन्होंने अक्टूबर 2018 से 24 मई 2019 तक हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में कार्य किया। नवंबर 2024 से वे सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी के चेयरमैन के तौर पर कार्यरत हैं।