क्या काजल गौड़ केस में न्याय मिलेगा? वसई कोर्ट ने आरोपी शिक्षिका को 14 दिन की हिरासत में भेजा
सारांश
Key Takeaways
- काजल गौड़ की मृत्यु ने महाराष्ट्र में बच्चों के अधिकारों पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं।
- शिक्षिका ममता यादव को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।
- बॉम्बे हाई कोर्ट में इस मामले पर याचिका दायर की गई है।
- शारीरिक दंड पर रोक लगाने की मांग की गई है।
- यह घटना मानवता के लिए एक गंभीर चुनौती है।
पालघर, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के पालघर जिले के वसई में 13 वर्षीय छात्रा काजल गौड़ की मृत्यु ने समस्त राज्य को हिला कर रख दिया है। इस मामले में वसई पुलिस द्वारा गिरफ्तार की गई शिक्षिका ममता यादव को गुरुवार को अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
जानकारी के अनुसार, यह घटना 8 नवंबर की है, जब कक्षा 6 की छात्रा काजल गौड़ स्कूल में 10 मिनट देर से पहुँची थी। आरोप है कि देर से आने पर शिक्षिका ने उसे 100 सिट-अप्स जैसी कठोर सजा दी। सिट-अप्स करने के बाद जब काजल घर लौटी तो उसकी तबीयत बिगड़ने लगी।
परिवार ने तुरंत उसे वसई के एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन स्थिति गंभीर होने के कारण डॉक्टरों ने उसे जेजे अस्पताल रेफर कर दिया। कई दिनों तक चले इलाज के बाद भी उसकी हालत में सुधार नहीं आया और 14 नवंबर को काजल की मृत्यु हो गई। इस दुखद समाचार ने पूरे क्षेत्र में शोक और आक्रोश की लहर पैदा कर दी।
इस घटना को लेकर गुरुवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई। वकील स्वप्ना प्रमोद कोडे द्वारा दायर इस याचिका में चीफ जस्टिस चंद्रशेखर से मामले में स्वतः संज्ञान लेने की अपील की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह घटना केवल एक बच्ची की मौत भर नहीं है, बल्कि यह मानवता, बच्चों की गरिमा और संवैधानिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है।
याचिका में मांग की गई है कि स्कूल के संचालन, नियमों के पालन, प्रशासनिक प्रक्रियाओं और घटना के सभी पहलुओं की जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) बनाई जाए। पूरे राज्य में शारीरिक सजा पर रोक लगाने के लिए निर्देश जारी किए जाएं। साथ ही काजल के भाई समेत प्रभावित स्टूडेंट्स की पढ़ाई का भविष्य सुरक्षित किया जाए।
फिलहाल, वसई अदालत ने आरोपी शिक्षिका ममता यादव को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। वहीं, पुलिस गहनता से मामले की जांच कर रही है।