क्या कांवड़ यात्रा पर चुनावी रोटी सेकना उचित है? अधीर रंजन चौधरी

सारांश
Key Takeaways
- कांवड़ यात्रा का धार्मिक महत्व है।
- राजनीतिक गतिविधियों से श्रद्धा को नुकसान हो सकता है।
- सरकार का नया नियम दुकानदारों के लिए अनिवार्य है।
मुर्शिदाबाद, 3 जुलाई (राष्ट्र प्रेस) - उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों के बाहर नेम प्लेट लगाए जाने के मुद्दे पर राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। इस विषय पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रतिक्रिया दी और कांवड़ यात्रा को लेकर राजनीति न करने की सलाह दी।
अधीर रंजन चौधरी ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "कांवड़िए युगों से कांवड़ लेकर जाते हैं, पर उनके प्रति राजनीति की जा रही है। कांवड़ यात्रा के सम्बन्ध में निर्देश दिया गया है कि जिन मार्गों पर कांवड़िए चलेंगे, वहां दुकानदारों और रेस्टोरेंट के मालिकों के नाम लिखना अनिवार्य है। मुझे लगता है कि इस तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए, जैसा कि पिछले कई वर्षों से होता आ रहा है।"
उन्होंने कांवड़ यात्रा पर राजनीति करने वालों को चेतावनी दी और कहा, "कांवड़िए अपने धर्म का पालन करते हुए व्रत रखते हैं, लेकिन मैं बस इतना कहूंगा कि कांवड़ यात्रा पर चुनावी रोटी सेकना उचित नहीं है।"
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार का निर्णय है कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर सभी दुकानों को अपने साइनबोर्ड पर मालिक का नाम और पहचान दिखाना अनिवार्य होगा।
इस पर सपा समेत कई विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं। विपक्ष के आरोपों पर भाजपा ने पलटवार किया और उन पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया।
यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में कहा, "समाजवादी पार्टी के लोग हमेशा प्रदेश में तुष्टिकरण की राजनीति करते रहे हैं। उनका तुष्टिकरण का पुराना इतिहास है। हमारी प्रतिबद्धता कानून व्यवस्था को मजबूत बनाना है और हर स्थिति में कानून व्यवस्था को बनाए रखेंगे। धर्म-कर्म के लिए कांवड़ यात्रा पर जाने वाले हमारे भाइयों को कोई समस्या न हो, इसकी व्यवस्था की जाएगी। साथ ही व्रत के दौरान खाने-पीने की दुकानें शुद्ध हों, इसकी भी व्यवस्था की जाएगी।"