क्या कर्नाटक में कांग्रेस की गुटबाजी का असर चुनावों पर पड़ेगा?
सारांश
Key Takeaways
- कर्नाटक में कांग्रेस के भीतर गुटबाजी
- भ्रष्टाचार और कुशासन का मुद्दा
- भाजपा नेता गौरव वल्लभ की टिप्पणी
- मुख्यमंत्री पद के लिए डीके शिवकुमार की मांग
- आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम की आवश्यकता
नई दिल्ली, 21 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक में मुख्यमंत्री बदलने की चर्चा एक बार फिर जोर पकड़ चुकी है। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के विधायकों के एक समूह ने दिल्ली जाकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से बातचीत की और डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की। इस पर भाजपा के नेता गौरव वल्लभ ने व्यंग्य करते हुए कहा कि कर्नाटक सरकार में छह से सात गुट सक्रिय हैं।
गौरव वल्लभ ने कहा कि कर्नाटक सरकार कुशासन, भ्रष्टाचार और परिवारवाद का प्रतीक बन चुकी है। उन्होंने कहा कि अगर यही स्थिति रही, तो बिहार में तो राजद को 25 सीटें मिलीं, लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस को 25 सीटें भी नहीं मिलेंगी।
दिल्ली में हुए बम विस्फोट में शिक्षित आतंकियों की भूमिका पर गौरव वल्लभ ने कहा कि ये लोग हमारे देश की शिक्षा लेकर, हमारे संसाधनों का उपयोग करके, हमारे खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होते हैं। यह बहुत खतरनाक है। यूपीए सरकार के दौरान इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। मुंबईपाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
उन्होंने कहा कि मुंबई के आतंकवादी हमले के दौरान तत्कालीन गृह मंत्री ने कहा था कि उन पर अमेरिका का दबाव था, लेकिन अब न्यू इंडिया की सरकार है। अब हम आतंकवाद के खिलाफ कड़ा कदम उठाएंगे।
ईडी द्वारा रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ चार्जशीट दायर करने पर गौरव वल्लभ ने कहा कि जो लोग भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, चाहे उनका सरनेम कितना भी बड़ा क्यों न हो।
उन्होंने अल फलाह यूनिवर्सिटी के संदर्भ में कहा कि जब 2008 में इसका नाम सामने आया, तब सरकार ने कार्रवाई क्यों नहीं की? ऐसी क्या मजबूरी थी? इस यूनिवर्सिटी को आतंकवाद का अड्डा बना दिया गया। आज हर भारतीय कांग्रेस और यूपीए सरकार से पूछ रहा है कि जब 2008 में संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी थी, तो कार्रवाई क्यों नहीं हुई?