क्या कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने बीज मेले में किसानों को प्रेरित किया?

सारांश
Key Takeaways
- कृषि क्षेत्र में नवाचार पर जोर
- आधुनिक तकनीकों को अपनाने की सलाह
- किसानों का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए प्रेरणा
- अंतरराष्ट्रीय मांग के अनुसार फसलें उगाने का आग्रह
- किसान कल्याण योजनाओं का सदुपयोग
धारवाड़, 14 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। धारवाड़ कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित बीज मेले में कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने रविवार को किसानों से संवाद करते हुए कृषि क्षेत्र में नवाचार और आत्मनिर्भरता पर बल दिया।
राज्यपाल ने कहा, "यह मेला किसानों का आत्मविश्वास बढ़ाने वाला है और अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। धारवाड़ कृषि विश्वविद्यालय ने व्यापक शोध के माध्यम से कई उन्नत बीज किस्में विकसित की हैं, जो किसानों के लिए लाभकारी साबित होंगी। यह कार्य भविष्य में भी जारी रहेगा।"
गहलोत ने किसानों को अन्नदाता बताते हुए कृषि को धर्म की नींव से जोड़ा। उन्होंने आधुनिक खेती की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, "विश्व में सर्वाधिक उपज के लिए कड़ी मेहनत जरूरी है। यह मेला किसानों तक गुणवत्तापूर्ण बीज पहुंचाने का माध्यम है, जिससे अधिक फसल और आर्थिक लाभ प्राप्त होगा।"
उन्होंने किसानों को फल और फूलों की खेती पर ध्यान देने की सलाह दी, क्योंकि इनसे अच्छा मुनाफा हो सकता है। उन्होंने मेले में मौजूद वैज्ञानिकों के साथ बातचीत का लाभ उठाने और नई तकनीकों को अपनाने का आग्रह करते हुए कहा, "किसानों को अंतरराष्ट्रीय मांग के अनुरूप फसलें उगानी चाहिए। केवल आधुनिक खेती ही बेहतर उपज दे सकती है।"
गहलोत ने कीटों, बाढ़ और सूखे जैसी चुनौतियों का जिक्र करते हुए नई तकनीकों के उपयोग पर जोर दिया। साथ ही, युवाओं और महिलाओं को कृषि क्षेत्र में आगे आने की अपील की। उन्होंने कहा, "कृषि अब युवाओं और महिलाओं को आकर्षित कर रही है। मेले में आकर वे बहुमूल्य अनुभव प्राप्त करें।"
राज्यपाल ने केंद्र और राज्य सरकार की किसान कल्याण योजनाओं के बारे में बताते हुए कहा कि इनका सदुपयोग कर किसान कृषि को और लाभदायक बना सकते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' विजन में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका की भी सराहना की।
गहलोत ने किसानों से मेले में वैज्ञानिकों से सीधे संवाद करने और उनकी सलाह लेने के लिए कहा और बताया कि गुणवत्तापूर्ण बीज और आधुनिक तकनीकों से ही किसान आर्थिक रूप से सशक्त हो सकते हैं।