क्या देवशयनी एकादशी पर काशी में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी?

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क्या देवशयनी एकादशी पर काशी में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी?

सारांश

देवशयनी एकादशी के अवसर पर वाराणसी के गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। इस विशेष दिन पर गंगा स्नान और भगवान विष्णु की पूजा का महत्व है। यहाँ जानिए इस दिन की खासियत और श्रद्धालुओं की आस्था की बातें।

Key Takeaways

  • देवशयनी एकादशी का महत्व
  • गंगा स्नान से पापों का नाश
  • भगवान विष्णु की पूजा
  • चातुर्मास के दौरान मांगलिक कार्यों पर रोक
  • श्रद्धालुओं की आस्था का प्रदर्शन

वाराणसी, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। देवशयनी एकादशी के पावन अवसर पर रविवार को काशी के गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्रित हो गई। श्रद्धालुओं ने सुबह-सुबह दशाश्वमेध घाट सहित अन्य प्रमुख घाटों पर गंगा स्नान किया और भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की।

इस दिन गंगा में स्नान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य फलों की प्राप्ति होती है, ऐसी मान्यता है। सुबह से ही घाटों पर स्नान और पूजा का क्रम शुरू हो गया। दशाश्वमेध घाट पर महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सभी आस्था की डुबकी लगाते हुए दिखे।

प्रतापगढ़ से काशी पहुंचे श्रद्धालु शिवम ने कहा, “एकादशी के दिन गंगा नदी में स्नान करने से पुण्य फल प्राप्त होते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, कई पाप और दोष समाप्त हो जाते हैं।”

राजन कुमार ने बताया, “गंगा में स्नान करने से शरीर और मन दोनों पवित्र होते हैं और पूजा-पाठ से कई पुण्य फल प्राप्त होते हैं। हम इस दिन अन्न का त्याग कर फलाहार करते हैं, व्रत रखते हैं और भोलेनाथ के साथ नारायण की पूजा करते हैं।”

दशाश्वमेध घाट के पुरोहित विवेकानंद पाण्डेय ने बताया, “आज की आषाढ़ मास की एकादशी है। इस दिन व्रत-पूजन करने से कई लाभ होते हैं। भक्त भगवान से प्रार्थना करते हैं कि वे उनके दुख-दर्द दूर करें।”

‘हर-हर महादेव’ और ‘नारायण-नारायण’ के जयघोष से घाटों का वातावरण भक्तिमय हो गया। श्रद्धालुओं ने गंगा जल से भगवान विष्णु का अभिषेक किया, पीले फूल, तुलसी पत्र और पंचामृत अर्पित किए। कई भक्तों ने विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी किया और दान-पुण्य के कार्यों में भाग लिया। इस दिन किए गए दान को विशेष फलदायी माना जाता है।

हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं और सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं। इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है, जो 6 जुलाई से शुरू होकर 1 नवंबर को देवउठनी एकादशी तक चलेगा। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों पर रोक रहती है, क्योंकि मान्यता है कि भगवान विष्णु की अनुपस्थिति में शुभ कार्यों में उनका आशीर्वाद नहीं मिलता।

Point of View

NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

देवशयनी एकादशी क्या है?
देवशयनी एकादशी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो भगवान विष्णु की पूजा के लिए मनाया जाता है।
इस दिन गंगा में स्नान करने से क्या होता है?
इस दिन गंगा में स्नान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य फल प्राप्त होता है।
चातुर्मास कब शुरू होता है?
चातुर्मास 6 जुलाई से शुरू होकर 1 नवंबर को देवउठनी एकादशी तक रहता है।