क्या केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात की?
सारांश
Key Takeaways
- खाद्य सुरक्षा के लिए प्रौद्योगिकी आधारित उपायों पर चर्चा हुई।
- नवीन ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति की सराहना की गई।
- उपराष्ट्रपति ने अटल बिहारी वाजपेयी के योगदान को याद किया।
नई दिल्ली, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मंगलवार को संसद भवन में उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन से भेंट की। इस दौरान उपराष्ट्रपति को खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग में सुधारों, पारदर्शिता को बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए प्रौद्योगिकी आधारित उपायों के बारे में जानकारी प्रदान की गई।
उन्होंने नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा सौर और पवन ऊर्जा की क्षमता में तेजी से विस्तार, राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत हुई प्रगति और नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों की शीघ्र प्राप्ति की सराहना की। इसके साथ ही ऊर्जा सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन और विकसित भारत-2047 में उनके योगदान की भी प्रशंसा की।
इससे पहले उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी द्वारा लिखित पुस्तक 'सनातन संस्कृति की अटल दृष्टि' का विमोचन किया। उपराष्ट्रपति ने पुस्तक लेखन के लिए देवनानी को बधाई दी और इसे एक सामयिक और महत्वपूर्ण योगदान बताया, खासकर जब देश पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी मना रहा है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी केवल एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक संस्था के समान थे, जिनका जीवन और नेतृत्व सिद्धांतों और मूल्यों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक था।
वाजपेयी के साथ अपने व्यक्तिगत संबंध को याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान 12वीं और 13वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में उनसे सीखने का अवसर मिला। उन्होंने जनसंघ के दिनों की सुखद यादें साझा कीं, जिनमें आपातकाल से पहले कोयंबटूर में वाजपेयी के लिए एक विशाल जनसभा का आयोजन करना भी शामिल है, जो उन पर गहरा प्रभाव छोड़ गया।
उपराष्ट्रपति ने राष्ट्र निर्माण में वाजपेयी के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत को कई क्षेत्रों में रूपांतरित किया। ऑपरेशन शक्ति के तहत मई 1998 में पोखरण में किए गए सफल परमाणु परीक्षणों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वाजपेयी के निर्णायक नेतृत्व ने वैश्विक मंच पर भारत के आत्मविश्वास और संकल्प को प्रदर्शित किया। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के प्रेरणादायक नारे, “जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान” को भी याद किया, जो राष्ट्रीय शक्ति के प्रति उनके समग्र दृष्टिकोण को दर्शाता है।