क्या आपके खर्राटों की आवाज ने घर वालों की नींद उड़ा दी है? अपनाएं ये 7 दिवसीय प्लान
सारांश
Key Takeaways
- नस्य थेरेपी
- शहद-अदरक का सेवन फायदेमंद है।
- हल्का आहार अपनाएं।
- हर्बल काढ़ा
- प्राणायाम करें।
नई दिल्ली, 11 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। यदि आप रात में तेज खर्राटे लेते हैं या सुबह उठते समय गले में सूखापन और भारीपन अनुभव करते हैं, तो यह संकेत है कि आपके श्वसन मार्ग में अवरोध है। आयुर्वेद के अनुसार, यह कफ और वात के असंतुलन के कारण होता है। नाक और गले में जमा कफ सांस को सही तरीके से गुजरने नहीं देता, जिससे खर्राटे और सूखा मुंह जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
इसके समाधान के लिए एक साधारण 7-दिवसीय आयुर्वेदिक योजना अपनाई जा सकती है। पहले दिन नस्य थेरेपी का उपयोग करें। सुबह और रात को सोने से पहले 2-2 बूंद अणु तेल दोनों नथुनों में डालें। यह नाक खोलने और गले की सूजन को कम करने में मदद करता है। दिन भर केवल गरम पानी पीते रहें।
दूसरे दिन रात को गुनगुने पानी में हल्दी और नमक मिलाकर गरारा करें, फिर अजवाइन डालकर 5 मिनट भाप लें। सोते समय करवट लेकर सोएं।
तीसरे दिन शहद-अदरक थेरेपी अपनाएं। 1 चम्मच अदरक का रस और 1 चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार लें। इससे गले की सूजन, सूखापन और खर्राटे कम होंगे। रात का भोजन हल्का लें।
चौथे दिन आहार में सुधार करें। दही, दूध और मीठा का सेवन कम करें। हल्का भोजन जैसे मूंग दाल खिचड़ी या सूप लें। नींबू पानी और तुलसी चाय दिनभर पीते रहें। सुबह भ्रामरी प्राणायाम 10 बार करें।
पांचवे दिन गले पर हल्का गर्म सरसों या नारियल तेल लगाकर मालिश करें। सोने से पहले 2 बूंद घी नाक में डालें।
छठे दिन हर्बल काढ़ा बनाएं। इसके लिए तुलसी, मुलेठी, अदरक और दालचीनी उबालें। सुबह-शाम इसे पिएं। रात में सोने से पहले अजवाइन भाप लें।
सातवें दिन शरीर का संतुलन बनाए रखें। सुबह 15 मिनट ध्यान और प्राणायाम (अनुलोम-विलोम और भ्रामरी) करें। रात में गले पर हल्का गर्म कपड़ा रखें।
आयुर्वेदिक
यदि खर्राटों के साथ नींद में सांस रुकने या झटके जैसी समस्या है, तो विशेषज्ञ से परामर्श लें।