क्या शहीद खुदीराम बोस के शहादत दिवस पर जेल में श्रद्धांजलि का अद्भुत आयोजन हुआ?

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क्या शहीद खुदीराम बोस के शहादत दिवस पर जेल में श्रद्धांजलि का अद्भुत आयोजन हुआ?

सारांश

मुजफ्फरपुर के शहीद खुदीराम बोस सेंट्रल जेल परिसर में 118वीं शहादत दिवस पर श्रद्धांजलि का अद्भुत आयोजन। लोग मिट्टी और प्रसाद लेकर पहुंचे। डीएम ने दी शहादत की प्रेरणा। क्या खुदीराम बोस की शहादत आज भी प्रेरणा देती है? जानिए इस विशेष आयोजन के बारे में।

Key Takeaways

  • खुदीराम बोस का बलिदान आज भी प्रेरणा देता है।
  • देश की एकता और अखंडता के लिए हमें उनके आदर्शों पर चलना चाहिए।
  • शहीद खुदीराम बोस सेंट्रल जेल परिसर में श्रद्धांजलि का आयोजन महत्वपूर्ण है।

मुजफ्फरपुर, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। शहीद खुदीराम बोस के 118वें शहादत दिवस पर सोमवार की भोर में मुजफ्फरपुर की शहीद खुदीराम बोस सेंट्रल जेल परिसर ने देशभक्ति की लहर से गूंज उठा। जेल को रंग-बिरंगे बल्बों से सजाया गया था, हल्दी की सुगंध वातावरण में फैली थी और राष्ट्रभक्ति के गीतों की धीमी धुन चल रही थी। अपने देश के इस वीर सपूत की शहादत को मनाने के लिए लोग सुबह तीन बजे से ही जेल के गेट पर जुटने लगे थे। हर कोई बेसब्री से गेट खुलने का इंतजार कर रहा था।

मुजफ्फरपुर के डीएम सुब्रत कुमार सेन, एसएसपी सुशील कुमार, एसडीपीओ टाउन सुरेश कुमार, एसडीओ पूर्वी, और मिठनपुरा थानाध्यक्ष समेत कई अधिकारी समय पर उपस्थित थे। मुहर लगाने के बाद सभी को जेल में प्रवेश की अनुमति दी गई। मिदनापुर गांव से आए लोगों ने इस आयोजन को खास बना दिया। वे शहीद के गांव की मिट्टी, 101 राखी और काली मंदिर का प्रसाद लेकर आए थे। फांसी स्थल पर मिट्टी में दो पौधे लगाए गए और प्रसाद अर्पित किया गया।

इसी स्थल पर 11 अगस्त 1908 को सुबह 3:50 बजे खुदीराम बोस को फांसी दी गई थी। इस मौके पर उपस्थित लोगों और अधिकारियों ने उन्हें सलामी दी और पुष्पांजलि अर्पित की। सेंट्रल जेल के रिकॉर्ड के अनुसार, फांसी से पूर्व खुदीराम का गीत सुनकर सभी बंदियों को एहसास हो गया था कि उन्हें बलिदान के लिए ले जाया जा रहा है। इसके बाद पूरा परिसर वंदे मातरम के नारों से गूंज उठा।

श्रद्धांजलि के बाद सभी ने उस ऐतिहासिक सेल में जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की, जहां खुदीराम को रखा गया था। माना जाता है कि आज भी उनकी आत्मा यहाँ वास करती है। श्रद्धा के भाव से सभी ने जूते-चप्पल निकालकर फूल चढ़ाए।

डीएम सुब्रत सेन ने कहा, "इसी जेल में उन्हें फांसी दी गई थी। 18 वर्ष से कम उम्र में खुदीराम ने हंसते-हंसते फांसी का वरण कर युवाओं के लिए अमर प्रेरणा का उदाहरण पेश किया। ऐसे सैकड़ों बलिदानों से ही देश आजाद हुआ है। हमें भी देश की एकता और अखंडता के लिए उनसे सीख लेनी चाहिए। हमें उनके बताए रास्ते पर चलना चाहिए जिससे देश का और विकास हो।"

Point of View

यह आयोजन केवल एक श्रद्धांजलि नहीं है, बल्कि यह एक प्रेरणा है। शहीद खुदीराम बोस का बलिदान आज भी हमें एकता और अखंडता की जरूरत का एहसास कराता है। हमें उनके आदर्शों पर चलकर देश के विकास में योगदान देना चाहिए।
NationPress
26/09/2025

Frequently Asked Questions

खुदीराम बोस का योगदान क्या था?
खुदीराम बोस ने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। वे युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
शहादत दिवस पर क्या आयोजन हुआ?
118वें शहादत दिवस पर मुजफ्फरपुर में श्रद्धांजलि का आयोजन हुआ जिसमें लोग मिट्टी और प्रसाद लेकर आए थे।
डीएम ने क्या कहा?
डीएम सुब्रत सेन ने कहा कि खुदीराम का बलिदान आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा है।