क्या किलपौक मेडिकल कॉलेज में छात्रा की संदिग्ध मौत आत्महत्या है?

सारांश
Key Takeaways
- पढ़ाई का दबाव छात्रों पर गंभीर मानसिक प्रभाव डाल सकता है।
- समाज में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर चर्चा की आवश्यकता है।
- छात्रों को सकारात्मक वातावरण की जरूरत है ताकि वे सुरक्षित महसूस कर सकें।
- पारिवारिक सपोर्ट और संवाद बहुत महत्वपूर्ण हैं।
- पुलिस जांच में डिजिटल डेटा की भूमिका अहम है।
चेन्नई, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। किलपौक मेडिकल कॉलेज (केएमसी) की 26 वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट छात्रा दिव्या मंगलवार को टीपी चाथिरम में एक किराए के मकान में मृत पाई गई। परिवार का मानना है कि पढ़ाई का दबाव दिव्या की मौत का मुख्य कारण हो सकता है।
वेल्लोर की निवासी दिव्या केएमसी में मेडिसिन में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री हासिल कर रही थीं। वे टीपी चाथिरम में अकेली रह रही थीं। पुलिस के अनुसार, जब दिव्या ने दोस्तों के फोन का जवाब नहीं दिया, तो चिंता बढ़ गई।
एक मित्र उनके घर पहुंचा और दरवाजा अंदर से बंद पाया। जब कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो पड़ोसियों की मदद से दरवाजा तोड़ा गया, जहां दिव्या मृत स्थिति में पाई गईं।
टीपी चाथिरम पुलिस को तुरंत सूचना दी गई और वे मौके पर पहुंचे। दिव्या का शव पोस्टमार्टम के लिए किलपौक मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल भेजा गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच जारी है।
दिव्या के पिता को घटना की सूचना दी गई। उन्होंने पुलिस को बताया कि उनकी बेटी पढ़ाई के भारी दबाव में थी। उन्होंने कहा, "वह अपनी पढ़ाई को लेकर लगातार तनाव में थी। हमें लगता है कि इस दबाव ने उसे यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया।"
पुलिस अब यह जांच कर रही है कि क्या उनके निजी जीवन में कोई घटना भी उनके मानसिक तनाव का कारण हो सकती है।
पुलिस ने दिव्या का मोबाइल जब्त कर लिया है और कॉल रिकॉर्ड, मैसेज और अन्य डिजिटल डेटा की जांच कर रही है ताकि मामले को आसानी से समझा जा सके।
अभी तक कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। किलपौक मेडिकल कॉलेज के दोस्तों और फैकल्टी ने दिव्या की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया। इन लोगों ने दिव्या को होनहार और मेहनती छात्रा बताया।