क्या किश्तवाड़ आपदा के घायलों के लिए सांसद हेल्प-डेस्क बनेगा?

सारांश
Key Takeaways
- किश्तवाड़ आपदा के घायलों की सहायता के लिए सांसद हेल्प-डेस्क की स्थापना।
- घायलों को दवा और भोजन जैसी आवश्यक सेवाएँ प्रदान की जाएंगी।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्थिति पर नजर रख रहे हैं।
- केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने घायलों से मुलाकात की।
- अस्पताल में 67 मरीज भर्ती, 15 को छुट्टी मिलने की संभावना।
जम्मू, 16 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में आई आपदा से प्रभावित लोगों से मिलने के लिए केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह चिसौती पहुंचे, जहां उन्होंने जम्मू के सरकारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती घायलों के लिए आवश्यक सहायता का प्रबंध किया।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक सांसद हेल्प-डेस्क स्थापित करने की घोषणा की। यह हेल्प-डेस्क जरूरतमंद घायलों की आवश्यकताओं का ध्यान रखेगा और उन्हें दवाई, भोजन और अन्य आवश्यक चीजें मुहैया कराएगा। इसके साथ ही, उनके परिवहन की व्यवस्था भी की जाएगी। यह हेल्प डेस्क जम्मू के प्रिंसिपल जीएमसी के कार्यालयों के सीधे संपर्क में रहेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने अस्पताल में मरीजों से मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। इस दौरान, उनकी टीम ने घायल मरीजों को फल, खाने-पीने की चीजें और जरूरी किट भी वितरित की।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सभी मरीजों को न केवल आवश्यक उपचार प्रदान किया जाएगा, बल्कि जरूरत पड़ने पर उन्हें जम्मू से बाहर रेफर करने की भी व्यवस्था की गई है।
बाद में, राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष गुप्ता और स्थानीय विधायक अरविंद गुप्ता के साथ मीडिया को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि 67 मरीज भर्ती थे। उन्होंने प्राचार्य और इलाज कर रहे डॉक्टरों से चर्चा की, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया कि इनमें से कम से कम 15 मरीजों को छुट्टी दी जा सकती है। इससे मरीजों की संख्या अब 52 तक सीमित रहेगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्थिति पर व्यक्तिगत रूप से नज़र रख रहे हैं, इसलिए सभी सरकारी तंत्र सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने प्रिंसिपल डॉ. आशुतोष गुप्ता, जम्मू मेडिकल कॉलेज के विभिन्न विभागों और प्रशासन द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने नर्सिंग स्टाफ और सहायक स्टाफ की विशेष प्रशंसा की, जो अपने कर्तव्य से परे जाकर घायल व्यक्तियों के लिए मानसिक सहारा बने हैं।