क्या मूसलाधार बारिश के बीच यात्री बस में सुरक्षित प्रसव संभव था?

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क्या मूसलाधार बारिश के बीच यात्री बस में सुरक्षित प्रसव संभव था?

सारांश

कोडरमा में एक अद्वितीय घटना में, बारिश के बीच एक यात्री बस में महिला ने सफलतापूर्वक प्रसव किया। यह कहानी न केवल संघर्ष की है, बल्कि मानवता की मदद की अद्भुत मिसाल भी है। जानें कैसे यात्रियों और पुलिस ने मिलकर एक नई जिंदगी का स्वागत किया।

Key Takeaways

  • संघर्ष और सहयोग: मिलकर किसी भी मुश्किल का सामना किया जा सकता है।
  • मानवता की मिसाल: संकट में एक-दूसरे की मदद करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • प्रसव की प्रक्रिया: बिना अस्पताल के भी सुरक्षित प्रसव संभव है।
  • पुलिस की भूमिका: आपात स्थिति में पुलिस का सहयोग आवश्यक होता है।
  • यात्रियों का सहयोग: सभी ने मिलकर नई जिंदगी का स्वागत किया।

कोडरमा, 28 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। कभी-कभी जीवन को बचाने के लिए ऑपरेशन थिएटर की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि दिल से की गई कोशिशों की जरूरत होती है। कोडरमा में रविवार की आधी रात एक यात्री बस में यही हुआ।

बस में सफर कर रही एक महिला को अचानक प्रसव पीड़ा का सामना करना पड़ा। बाहर मूसलाधार बारिश हो रही थी और स्थिति ऐसी थी कि महिला को बस से निकालकर अस्पताल ले जाना संभव नहीं था। ऐसे समय में बस के चालक और परिचालक, सड़क पर तैनात पुलिसकर्मी, एक कॉल पर मौके पर पहुंचे डॉक्टर और बस में मौजूद यात्रियों ने मिलकर बस को ही प्रसव कक्ष में बदल दिया। अंततः प्रसूता ने एक बच्ची को जन्म दिया।

राधा देवी, जो बिहार के वैशाली की 20 वर्षीय निवासी हैं, अपने पति सूरज राम, मां मीना देवी और बहन के साथ ‘श्री साईं’ नामक यात्री बस से रांची आ रही थीं। उन्हें 2 अगस्त को डिलीवरी की तारीख दी गई थी, इसलिए उनके परिवार वाले उन्हें समय से पहले रांची ले जा रहे थे। राधा देवी बस के स्लीपर कोच में सोई हुई थीं, लेकिन कोडरमा के पास अचानक उन्हें प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। स्थिति बिगड़ने लगी और परिजन घबरा गए।

बारिश तेज थी और अस्पताल का कोई पता नहीं चल रहा था। ऐसे में बस के चालक ने रेलवे ओवरब्रिज के पास खड़ी पीसीआर टीम से मदद मांगी। पुलिसकर्मी ओमप्रकाश समेत उनकी पूरी टीम ने अस्पताल की तलाश शुरू की। शहर के कुछ अस्पतालों में डॉक्टर नहीं मिले। अंततः पुलिस की मदद से बस को बाईपास रोड स्थित आर्यन हॉस्पिटल ले जाया गया। यहाँ डॉ. प्रवीण कुमार ने तुरंत मेडिकल टीम के साथ बस तक पहुंचने का निर्णय लिया। राधा की स्थिति ऐसी थी कि उन्हें बस से उतारा नहीं जा सकता था, इसलिए बस में ही डिलीवरी कराने का निर्णय लिया गया।

सभी यात्री बस से बाहर उतर गए। फिर रात 2:40 बजे, उसी बस में एक स्वस्थ बच्ची ने जन्म लिया। जब तक डिलीवरी पूरी नहीं हुई, यात्री भीगे हुए इंतजार करते रहे। जैसे ही बच्ची का जन्म हुआ, बस तालियों से गूंज उठी। जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित हैं। बाद में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ सोमवार को जांच और इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई।

Point of View

बल्कि यह मानवीय सहयोग और सामुदायिक भावना का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करती है। जब मुश्किल समय आया, सभी ने मिलकर एक नई जिंदगी को जन्म दिया। यह कहानी हमें सिखाती है कि हम सभी की जिम्मेदारी है एक-दूसरे की मदद करना।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

क्या बस में प्रसव करना सुरक्षित था?
हां, डॉक्टर और मेडिकल टीम ने बस में प्रसव कराने का निर्णय लिया, क्योंकि महिला की स्थिति गंभीर थी।
कौन से लोग मदद के लिए आए?
बस के चालक, परिचालक, पुलिसकर्मी और अन्य यात्री सभी ने मिलकर मदद की।
बच्ची का जन्म कब हुआ?
बच्ची का जन्म रात 2:40 बजे हुआ।
महिला और बच्ची की तबीयत कैसी है?
दोनों स्वस्थ हैं और अस्पताल से छुट्टी मिल गई है।
इस घटना से हमें क्या सीखने को मिलता है?
यह घटना हमें मानवता और सहयोग की शक्ति को समझाती है।