क्या कोलकाता रेप केस पर टीएमसी नेता मदन मित्रा का बयान सही था?

सारांश
Key Takeaways
- मदन मित्रा का विवादित बयान टीएमसी के लिए संकट बन सकता है।
- भाजपा ने ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग की है।
- कोलकाता रेप केस में राजनीति करना अनुचित है।
- दिलीप घोष ने टीएमसी की आलोचना की है।
- समाज में महिलाओं की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
खड़गपुर, 29 जून (राष्ट्र प्रेस)। कोलकाता में हुए रेप केस को लेकर भाजपा प्रदेश की सरकार पर कड़ा हमला कर रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टीएमसी सरकार पर गंभीर आरोपों की बौछार हो रही है, और भाजपा ने उनके इस्तीफे की मांग भी की है। इसी बीच, टीएमसी नेता मदान मित्रा का कोलकाता रेप मामले पर दिया गया विवादित बयान ममता बनर्जी के लिए एक संकट बन गया है। भाजपा नेता दिलीप घोष ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
रविवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में, दिलीप घोष ने कहा कि मदन मित्रा का क्या उद्देश्य है? क्या किसी लड़की को बंगाल की सड़कों पर अकेले नहीं निकलना चाहिए? क्या उसे अकेले स्कूल या कॉलेज जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए? ये लोग केवल अपराधियों की सुरक्षा के लिए राजनीति कर रहे हैं।
कोलकाता रेप मामले में मदन मित्रा ने कहा था कि अगर लड़की अपने साथ कुछ दोस्तों को ले जाती तो सामूहिक दुष्कर्म की घटना नहीं होती। जब टीएमसी ने इस बयान की निंदा की, तो मित्रा ने स्पष्टीकरण दिया कि उनके बयान को गलत समझा गया है और इसका उपयोग पार्टी की छवि को खराब करने के लिए किया जा रहा है।
दिलीप घोष ने आगे कहा कि टीएमसी में ऐसे अपराधी हैं जो सरकार और पार्टी को चला रहे हैं। इसलिए आरजी कर, बल्लीगंज और अन्य स्थानीय घटनाएं हो रही हैं। जब शहरों में ऐसी घटनाएं होती हैं, तो मीडिया का ध्यान आकर्षित होता है, लेकिन गांवों में ऐसी घटनाओं को कोई सुनता नहीं है और पुलिस रिपोर्ट भी दर्ज नहीं करती। पूरी टीएमसी पार्टी अब अपराधियों के हाथों में है। यह कहना आवश्यक है कि यह पार्टी अपराध करती है और अपराधियों की मदद करती है। यदि कल्याण बनर्जी जैसे लोग हिम्मत रखते हैं, तो उन्हें सामने आकर इसका विरोध करना चाहिए।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि हम स्वीकार करें कि डॉ. अंबेडकर द्वारा तैयार किया गया संविधान हमारे राष्ट्र की आत्मा है। हालाँकि, इसे बार-बार छेड़छाड़ का शिकार होना पड़ा है, खासकर कांग्रेस द्वारा, जिससे इसका असली सार नष्ट हो गया है। 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' जैसे शब्द हमारी संस्कृति के अनुरूप नहीं हैं। समय आने पर इसे आर्टिकल 370 की तरह हटाया जाएगा।