क्या जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ की कोशिश नाकाम हुई?

सारांश
Key Takeaways
- भारतीय सेना ने कुपवाड़ा में घुसपैठ की कोशिश को नाकाम किया।
- इस ऑपरेशन में दो आतंकवादी मारे गए।
- सेना और सुरक्षा बल 24/7 निगरानी रख रहे हैं।
- घुसपैठ की कोशिश करने वालों की संख्या 100 के आसपास हो सकती है।
- बीएसएफ ने ड्रोन-रोधी उपकरण तैनात किए हैं।
श्रीनगर, 14 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रशासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर घुसपैठ की एक कोशिश को भारतीय सेना के जवानों ने सफलतापूर्वक नाकाम कर दिया है, जिसमें दो आतंकवादियों को भी नष्ट किया गया।
अधिकारियों के अनुसार, सेना के जवानों ने नियंत्रण रेखा पर संदिग्ध गतिविधि देखी।
उन्होंने कहा, "आतंकवादियों के घुसपैठ की कोशिश को नाकाम करने के दौरान आतंकवादियों और सेना के बीच लगातार गोलीबारी हुई। इस ऑपरेशन में अब तक दो आतंकवादी मारे गए हैं।"
अधिकारी आगे की जानकारी का इंतजार कर रहे हैं।
इस शीतकाल में भारी बर्फबारी के कारण पहाड़ी दर्रे बंद होने से पहले जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ की किसी भी कोशिश को विफल करने के लिए सेना और सुरक्षा बल मिलकर 24/7 निगरानी रख रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, आतंकवादी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में लॉन्च पैड पर इंतजार कर रहे हैं ताकि पहाड़ी दर्रे बंद होने से पहले भारतीय सीमा में घुसपैठ कर सकें।
अधिकारियों ने बताया कि घुसपैठ की कोशिश करने वाले आतंकवादियों की सही संख्या हमेशा बदलती रहती है, लेकिन यह संख्या लगभग 100 हो सकती है।
सेना, सुरक्षा बल और जम्मू-कश्मीर पुलिस आतंकवादियों, उनके सक्रिय कार्यकर्ताओं (ओजीडब्ल्यू) और समर्थकों को निशाना बनाकर आतंकवाद-रोधी अभियान चला रहे हैं।
सेना नियंत्रण रेखा की रक्षा करती है जबकि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) की रक्षा करता है।
जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा 740 किलोमीटर लंबी है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय सीमा 240 किलोमीटर लंबी है। नियंत्रण रेखा घाटी में बारामूला, कुपवाड़ा, बांदीपोरा और जम्मू जिले के कुछ हिस्सों में स्थित है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय सीमा जम्मू संभाग के जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों में है।
नियंत्रण रेखा और पाकिस्तान में अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पार जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बनाए रखने के लिए हथियारों, गोला-बारूद, ड्रग्स और नकदी से भरे ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये हथियार आतंकवादियों के सक्रिय सदस्य, सहयोगी या समर्थक उठाते हैं और आतंकवादियों तक पहुंचाते हैं।
बीएसएफ और सेना ने ड्रोन के खतरे से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर विशेष ड्रोन-रोधी उपकरण तैनात किए हैं।