क्या 55,000 अपराधियों को जेल भेजा जाना सुशासन का सबूत है?: केसी त्यागी
सारांश
Key Takeaways
- 2005 में दो लाख से अधिक मामले लंबित थे।
- 55,000 अपराधियों को जेल भेजा गया।
- विशेष अदालतें स्थापित की गईं।
- कानून का राज स्थापित करने की कोशिश।
- एनडीए का संकल्प पत्र विकास का प्रतीक।
नई दिल्ली, १ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने एनडीए सरकार के सुशासन मॉडल का समर्थन करते हुए कहा कि जब २००५ में नीतीश कुमार एनडीए के मुख्यमंत्री बने थे, तब सामाजिक तत्वों से संबंधित दो लाख से अधिक मामले लंबित थे।
केसी त्यागी ने यह भी कहा कि जब नीतीश कुमार को बिहार की जिम्मेदारी सौंपी गई, तब अपराधी खुलेआम घूम रहे थे। हमने विशेष अदालतें स्थापित कीं और ५५,००० लोगों को दोषी ठहराने के बाद जेल भेजा। यह हमारे सुशासन का परिणाम है।
उनका यह बयान उस समय आया है, जब हाल ही में एनडीए ने बिहार चुनाव के लिए संकल्प पत्र जारी किया। दूसरी ओर, मोकामा में हुए हत्याकांड को लेकर विपक्षी दल नीतीश सरकार से सवाल उठा रहे हैं।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान जदयू नेता ने राजद सांसद मनोझ झा के उस पत्र पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें कहा गया था कि आचार संहिता के बावजूद महिलाओं के बैंक खाते में १० हजार रुपए भेजे जा रहे हैं। केसी त्यागी ने कहा कि बिहार सरकार एक संवेदनशील और कानून का सम्मान करने वाली सरकार है। मनोज झा का बयान राजनीतिक प्रेरणा से भरा है।
उन्होंने मोकामा हत्याकांड पर विपक्षी नेताओं द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि बिहार की एनडीए सरकार कानून का राज स्थापित करती रही है, जिसमें अपराधियों के लिए कोई स्थान नहीं है। कानून अपना काम करेगा, चाहे अपराधी कोई भी हो।
दिल्ली का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ करने के प्रस्ताव पर केसी त्यागी ने कहा कि ऐसे निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाने चाहिए। इंद्रप्रस्थ नाम बुरा नहीं है।
यह उल्लेखनीय है कि बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए ने शुक्रवार को संकल्प पत्र जारी किया था।
एनडीए में शामिल राजनीतिक दलों का कहना है कि एनडीए का संकल्प पत्र पीएम मोदी के बिहार से गहरे लगाव और विकास के संकल्प का प्रतीक है।