क्या काले इतिहास से सभी को रू-ब-रू होना चाहिए? आपातकाल पर भाजपा नेता

सारांश
Key Takeaways
- आपातकाल लोकतंत्र की हत्या का एक काला अध्याय है।
- मीडिया की स्वतंत्रता का दमन किया गया।
- बेरोजगारी और भूख के बीच आपातकाल की घोषणा हुई।
- इतिहास से सीखना आवश्यक है।
- हर भारतीय को इस काले अध्याय को याद रखना चाहिए।
नई दिल्ली, 26 जून (राष्ट्र प्रेस)। आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर गुरुवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन में भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद, बांसुरी स्वराज, और दिल्ली भाजपा के वरिष्ठ नेता सतीश उपाध्याय भी शामिल हुए। कार्यक्रम में आपातकाल के काल को याद करते हुए भाजपा नेताओं ने लोगों से निवेदन किया कि वे इस काले इतिहास से अवश्य अवगत हों।
रविशंकर प्रसाद ने कार्यक्रम के बाद समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि आपातकाल के दौरान लोकतंत्र को बंधक बना लिया गया। लोगों को जेलों में डाल दिया गया और मीडिया की स्वतंत्रता को छीन लिया गया। कांग्रेस ने तब तक अत्याचार किया जब तक उनका मन नहीं भरा। आज जब हम इसे संविधान हत्या दिवस के रूप में मना रहे हैं, तो कांग्रेस को यह बात चुभती है। इसलिए, यह ज़रूरी है कि देश को बताया जाए कि कैसे कांग्रेस ने लोकतंत्र में अत्याचार किया।
भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने कहा कि जब पूरा देश भूख और बेरोजगारी की मार झेल रहा था और सरकार के खिलाफ असंतोष पनप रहा था, तब इंदिरा गांधी ने रातों-रात आपातकाल की घोषणा कर दी। उन्होंने 25 जून की आधी रात को ऑल इंडिया रेडियो पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए आपातकाल की घोषणा की। इतिहास का अध्ययन बेहद आवश्यक है, क्योंकि यदि आप उससे नहीं सीखते, तो वह खुद को दोहराता है।
आपातकाल हमारे देश की आज़ादी के बाद लोकतंत्र की हत्या का एक अध्याय है। सत्ता के मोह में शांति के समय में आपातकाल लागू किया गया। मीडिया का दमन हुआ, लोगों को जेल में डाल दिया गया और महिलाओं को लोहे की बेड़ियों में जकड़ दिया गया। इंदिरा गांधी जानती थीं कि वे सत्ता में अवैध रूप से बनी हुई थीं। आज कांग्रेस पार्टी संविधान की बात करती है, लेकिन कभी संविधान पढ़ती नहीं है। पीएम मोदी खुद को देश का सेवक मानते हैं और संविधान को अपने माथे से लगाते हैं। इसलिए, हर भारतीय को चाहिए कि वह आज़ादी के इस काले अध्याय को न भूले ताकि कोई भविष्य में लोकतंत्र की हत्या करने की हिम्मत न कर सके।
भाजपा के वरिष्ठ नेता सतीश उपाध्याय ने कहा कि पीएम मोदी ने सही कहा है कि यह संविधान की हत्या का दिवस है। मौलिक अधिकारों को रोका गया, और मीडिया की स्वतंत्रता छीन ली गई। यह वह समय था जब पूर्व पीएम ने लोकतंत्र को कुचल दिया था।