क्या रूसी कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंधों का असर नहीं है? राजदूत अलीपोव ने कहा, 'भारत भारी मात्रा में फीडस्टॉक खरीदता रहेगा'

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क्या रूसी कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंधों का असर नहीं है? राजदूत अलीपोव ने कहा, 'भारत भारी मात्रा में फीडस्टॉक खरीदता रहेगा'

सारांश

क्या अमेरिकी प्रतिबंधों का रूस-भारत के तेल व्यापार पर कोई असर नहीं हुआ? जानें रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव का क्या कहना है। यह रिपोर्ट इस विषय पर गहरी जानकारी प्रदान करती है।

Key Takeaways

  • भारत रूस से भारी मात्रा में फीडस्टॉक खरीद रहा है।
  • अमेरिकी प्रतिबंधों का असर सीमित हो सकता है।
  • रूसी सूरजमुखी तेल की आपूर्ति में भारत का स्थान महत्वपूर्ण है।
  • रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारत के लिए अवसर पैदा हुए हैं।
  • इंटरव्यू में अलीपोव ने भविष्य का संकेत दिया है।

नई दिल्ली, 6 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और रूस के बीच तेल व्यापार को रोकने की पूरी कोशिश की है, चाहे वह रूसी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का मामला हो या फिर भारत पर टैरिफ के जरिए दबाव डालने का। इस बीच, भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने बताया कि मॉस्को की दो प्रमुख तेल कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद, भारत 'भारी मात्रा में' फीडस्टॉक खरीद रहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कई बार कहा है कि भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया या कम कर दिया है, लेकिन भारत ने इन दावों को नकारा है। हाल ही में अमेरिका ने दो रूसी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं।

रूसी मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में, अलीपोव ने कहा कि अक्टूबर 2025 के अनुमान के अनुसार, भारत द्वारा रूसी फीडस्टॉक की खरीद लगभग 1.75 मिलियन बैरल प्रतिदिन के स्तर पर ही रहेगी।

उन्होंने आगे कहा, "यह आंकड़ा पहले भी उछला था, अब भी उछल रहा है। कुछ महीनों में ज्यादा और कुछ में कम, औसतन लगभग उसी स्तर पर रहा है।"

पिछले महीने, ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में मॉस्को की प्रमुख तेल कंपनियों, रोसनेफ्ट और लुकोइल, पर प्रतिबंधों की घोषणा की थी। प्रतिबंधों की घोषणा करते समय स्कॉट बेसेंट ने कहा था, "अब समय आ गया है कि हत्याएं रोकी जाएं और तत्काल युद्धविराम किया जाए।"

अमेरिका का कहना है कि रूस व्यापार से मिलने वाले पैसों का इस्तेमाल यूक्रेन के खिलाफ हमलों में खर्च करता है। ऐसे में आर्थिक रूप से रूस को कमजोर करने की कोशिशों में ट्रंप सरकार लगातार दबाव बनाने की कोशिश कर रही है।

भारत में सूरजमुखी के तेल का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। पिछले चार वर्षों में रूसी सूरजमुखी तेल की आपूर्ति यूक्रेन की तुलना में भारत में बारह गुना ज्यादा हो गई है।

2022 में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद, कीव का सूरजमुखी तेल निर्यात बड़े पैमाने पर यूरोप की ओर मुड़ गया है, जिससे रूस को भारत के विशाल बाजार में प्रवेश करने का अवसर मिला है।

Point of View

हमें यह समझने की आवश्यकता है कि भारत और रूस के बीच का व्यापार केवल आर्थिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। अमेरिकी प्रतिबंधों का प्रभाव सीमित हो सकता है, और भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने विकल्पों को अनलॉक करने की आवश्यकता है।
NationPress
26/12/2025

Frequently Asked Questions

क्या भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है?
नहीं, भारत ने रूस से तेल खरीदना नहीं बंद किया है। रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव के अनुसार, भारत अभी भी भारी मात्रा में फीडस्टॉक खरीद रहा है।
अमेरिका के प्रतिबंधों का असर क्या है?
अमेरिका के प्रतिबंधों का असर सीमित हो सकता है, क्योंकि भारत रूस से तेल खरीदता जा रहा है।
रूसी सूरजमुखी तेल की आपूर्ति में भारत का स्थान क्या है?
पिछले चार वर्षों में रूसी सूरजमुखी तेल की आपूर्ति भारत में बारह गुना बढ़ गई है।
रूसी कंपनियों पर लगे प्रतिबंध कब लगाए गए?
पिछले महीने, अमेरिका ने रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में प्रमुख रूसी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए।
भारत में सूरजमुखी के तेल का उपयोग कैसे बढ़ा है?
भारत में सूरजमुखी तेल का उपयोग अन्य देशों की तुलना में तेजी से बढ़ा है, खासकर पिछले चार वर्षों में।
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