क्या रिकॉर्ड आईपीओ फंडिंग से 'विकसित भारत' का सपना मजबूत हुआ? - डॉ. रंजीत मेहता (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

Click to start listening
क्या रिकॉर्ड आईपीओ फंडिंग से 'विकसित भारत' का सपना मजबूत हुआ? - डॉ. रंजीत मेहता (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

सारांश

क्या भारत का कैपिटल मार्केट अब पहले से कहीं अधिक मजबूत हो गया है? 2025 में 365 से अधिक आईपीओ के माध्यम से जुटाई गई राशि और निवेशकों का भरोसा इस बात का संकेत है। जानें डॉ. रंजीत मेहता की खास राय और इसके पीछे के कारण।

Key Takeaways

  • 2025 में 365 से अधिक आईपीओ के माध्यम से 1.95 लाख करोड़ रुपए जुटाए गए।
  • निवेशकों का भरोसा और स्थिर आर्थिक नीतियां महत्वपूर्ण हैं।
  • भारत का कैपिटल मार्केट वैश्विक स्तर पर पहचान बना रहा है।
  • छोटे स्टार्टअप्स भी आईपीओ में सफल हो रहे हैं।
  • मोदी सरकार की नीतियों ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है।

गोवा, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्ष 2025 में अब तक 365 से अधिक आईपीओ के माध्यम से लगभग 1.95 लाख करोड़ रुपए जुटाए गए हैं, जो निवेशकों के मजबूत भरोसे और देश की स्थिर आर्थिक नीतियों का प्रतीक है। केंद्र सरकार द्वारा किए गए आर्थिक सुधारों, रिटेल निवेशकों की बढ़ती भागीदारी और भारत के एक भरोसेमंद ग्लोबल इन्वेस्टमेंट हब के रूप में उभरने पर पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सीईओ एवं सेक्रेटरी जनरल डॉ. रंजीत मेहता ने न्यूज एजेंसी राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत की। यहां प्रस्तुत हैं बातचीत के महत्वपूर्ण अंश।

सवाल: मोतीलाल ओसवाल के आंकड़ों के अनुसार 2025 में 365 से अधिक आईपीओ के जरिए 1.95 लाख करोड़ रुपए जुटना, क्या यह साबित नहीं करता कि मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत का कैपिटल मार्केट ऐतिहासिक मजबूती पर है?

जवाब: दिसंबर 2025 तक भारत का आईपीओ बाजार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है। वर्ष 2025 में अब तक 365 से अधिक आईपीओ के जरिए करीब 1.95 लाख करोड़ रुपए जुटाए गए हैं। यह न केवल 2024 का रिकॉर्ड तोड़ता है, बल्कि पिछले 10 वर्षों में आए बड़े बदलाव को भी दर्शाता है। इज ऑफ डूइंग बिजनेस, मजबूत रेगुलेटरी सिस्टम और निवेशकों के बढ़ते भरोसे ने भारत के कैपिटल मार्केट को ऐतिहासिक मजबूती दी है।

सवाल: 2024 का रिकॉर्ड तोड़ते हुए आईपीओ फंडरेजिंग का बढ़ना, क्या यह मोदी सरकार की स्थिर आर्थिक नीतियों, राजनीतिक स्थिरता और नीति-निरंतरता पर निवेशकों के अटूट भरोसे का संकेत नहीं है?

जवाब: आज पूरी दुनिया आर्थिक अस्थिरता, टैरिफ वॉर और जियोपॉलिटिकल तनाव से गुजर रही है। ऐसे समय में भारत की राजनीतिक स्थिरता, स्पष्ट नीतियां और निरंतर सुधार निवेशकों को भरोसा देते हैं। मोदी सरकार की नीतियां स्थिर, प्रेडिक्टेबल और लॉन्ग-टर्म विजन पर आधारित हैं। यही कारण है कि निवेशक भारत को सबसे सुरक्षित और आकर्षक अवसर के रूप में देख रहे हैं।

सवाल: जब 2025 में जुटाई गई कुल राशि का 94 प्रतिशत हिस्सा मेनबोर्ड आईपीओ से आ रहा है और केवल 198 बड़ी कंपनियां दो वर्षों में 3.6 लाख करोड़ रुपए जुटा रही हैं, तो क्या यह भारत की मजबूत कॉरपोरेट गवर्नेंस और रिफॉर्म-ड्रिवन इकोनॉमी को नहीं दर्शाता?

जवाब: पिछले दो वर्षों में कुल 701 आईपीओ से लगभग 3.8 लाख करोड़ रुपए जुटाए गए हैं, जिनमें करीब 94 प्रतिशत योगदान मेनबोर्ड कंपनियों का रहा। यह दिखाता है कि भारत की कॉरपोरेट गवर्नेंस मजबूत है, पारदर्शिता बढ़ी है और कंपनियां नियमों का पालन कर रही हैं। रिफॉर्म-ड्रिवन इकोनॉमी ने कंपनियों को विस्तार और पूंजी निर्माण का भरोसेमंद मंच दिया है।

सवाल: जीएसटी सुधार, टैक्स पारदर्शिता और नियमों की सरलता से कंपनियों की लागत घटी, क्या यही वजह है कि आज स्टार्टअप, स्मॉल-कैप और बड़ी कंपनियां समान रूप से आईपीओ बाजार में सफल हो रही हैं?

जवाब: जीएसटी सुधार, टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता और नियमों की सरलता ने कंपनियों की लागत कम की है। इससे स्टार्टअप, स्मॉल-कैप और बड़ी कंपनियों सभी को बराबर अवसर मिले हैं। आज आईपीओ केवल बड़ी कंपनियों तक सीमित नहीं है, बल्कि युवा और नई कंपनियां भी पूंजी बाजार में सफलतापूर्वक प्रवेश कर रही हैं।

सवाल: एनबीएफसी, टेक्नोलॉजी और हेल्थकेयर जैसे विविध सेक्टरों में आईपीओ की बढ़ती हिस्सेदारी क्या मोदी सरकार की 'इज ऑफ डूइंग बिजनेस' और 'न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन' नीति की सफलता नहीं दर्शाती?

जवाब: एनबीएफसी, टेक्नोलॉजी, कैपिटल गुड्स और हेल्थकेयर जैसे सेक्टरों की मजबूत भागीदारी बताती है कि भारत का बिजनेस इकोसिस्टम विविध और संतुलित हो गया है। सरकार की 'न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन' नीति ने रेगुलेटरी बोझ घटाया है और बिजनेस करना आसान बनाया है।

सवाल: औसतन 26 गुना आईपीओ सब्सक्रिप्शन और एसआईपी-म्यूचुअल फंड के जरिए आम निवेशकों की भागीदारी, क्या यह साबित नहीं करती कि मोदी सरकार ने शेयर बाजार को एलीट सिस्टम से निकालकर जन-भागीदारी का मंच बना दिया है?

जवाब: औसतन 26 गुना आईपीओ सब्सक्रिप्शन यह दिखाता है कि रिटेल निवेशकों का भरोसा कितना मजबूत है। एसआईपी और म्यूचुअल फंड के जरिए आम लोग भी कैपिटल मार्केट से जुड़ रहे हैं। अब शेयर बाजार केवल बड़े निवेशकों तक सीमित नहीं, बल्कि आम नागरिकों की भागीदारी वाला मंच बन गया है।

सवाल: दुनिया के अन्य बाजारों में अनिश्चितता के बीच भारत का रिकॉर्ड आईपीओ प्रदर्शन, क्या यह संकेत नहीं देता कि भारत अब केवल ग्रोथ स्टोरी नहीं, बल्कि एक भरोसेमंद ग्लोबल इन्वेस्टमेंट हब बन चुका है?

जवाब: 2025 में भारत ने आईपीओ लिस्टिंग के मामले में अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है। यह दर्शाता है कि भारत अब केवल उभरती अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि एक भरोसेमंद ग्लोबल इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन बन चुका है। निवेशकों का ट्रस्ट भारत के पूरे इकोसिस्टम पर है।

सवाल: जीएसटी सुधार, डिजिटल इकोनॉमी और 'रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म' मॉडल के चलते मोदी सरकार ने 'विकसित भारत' के लक्ष्य के लिए एक मजबूत आर्थिक नींव तैयार कर दी है?

जवाब: जीएसटी, डिजिटल इकोनॉमी और 'रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म' मॉडल ने भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार दिया है। आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। वर्ल्ड बैंक के अनुसार भी 2025-26 में भारत की ग्रोथ 7 प्रतिशत से ऊपर रहने की उम्मीद है। यही कारण है कि निवेशकों को भारत के भविष्य पर भरोसा है और 2026 में इससे भी बड़े आईपीओ आने की संभावना है।

Point of View

NationPress
25/12/2025

Frequently Asked Questions

भारत में आईपीओ फंडिंग का क्या महत्व है?
आईपीओ फंडिंग निवेशकों के भरोसे और अर्थव्यवस्था की स्थिरता का प्रतीक है।
मोदी सरकार की नीतियों का आईपीओ पर क्या प्रभाव पड़ा है?
मोदी सरकार की स्थिर नीतियों ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है और आईपीओ फंडिंग को मजबूत किया है।
क्या छोटे स्टार्टअप्स भी आईपीओ में भाग ले सकते हैं?
जी हां, आज छोटे स्टार्टअप्स भी आईपीओ बाजार में सफलतापूर्वक प्रवेश कर रहे हैं।
भारत के कैपिटल मार्केट में वृद्धि के पीछे क्या कारण हैं?
इज ऑफ डूइंग बिजनेस, मजबूत रेगुलेटरी सिस्टम और निवेशकों का बढ़ता भरोसा इसके मुख्य कारण हैं।
क्या भारत अब एक विश्वसनीय निवेश गंतव्य बन गया है?
बिल्कुल, भारत अब एक भरोसेमंद ग्लोबल इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन बन गया है।
Nation Press