क्या भिखारी ठाकुर को मिलेगा भारत रत्न? भोजपुरी के शेक्सपियर की पुण्यतिथि पर गूंजा सम्मान का स्वर

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क्या भिखारी ठाकुर को मिलेगा भारत रत्न? भोजपुरी के शेक्सपियर की पुण्यतिथि पर गूंजा सम्मान का स्वर

सारांश

भोजपुरी के महान कवि भिखारी ठाकुर की पुण्यतिथि पर बिहार में उन्हें भारत रत्न देने की मांग तेज हो गई है। उनके योगदान को नजरअंदाज करना उचित नहीं है। क्या उन्हें यह सर्वोच्च सम्मान मिलेगा?

Key Takeaways

  • भिखारी ठाकुर को भोजपुरी का शेक्सपियर कहा जाता है।
  • उनकी रचनाएँ सामाजिक मुद्दों को उजागर करती हैं।
  • भारत रत्न देने की मांग तेज हो रही है।
  • भाषा और संस्कृति के संरक्षण में उनका योगदान महत्वपूर्ण है।
  • सामाजिक बदलाव के लिए उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं।

पटना, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भोजपुरी के प्रसिद्ध कवि और लोकनाट्य परंपरा के संस्थापक भिखारी ठाकुर की पुण्यतिथि पर बिहार के लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। उन्हें ‘भोजपुरी का शेक्सपियर’ कहा जाता है। इस अवसर पर उनके लिए भारत रत्न की मांग जोर पकड़ रही है।

सारण से सांसद राजीव प्रताप रूडी ने भिखारी ठाकुर को मरणोपरांत पद्म भूषण देने की याचना की है। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। वे बिहार के सभी सांसदों के हस्ताक्षर लेकर एक संयुक्त प्रस्ताव भारत सरकार को प्रस्तुत करेंगे।

सारण विकास मंच के संयोजक शैलेंद्र प्रताप सिंह ने भी भारत सरकार से अपील की है कि भोजपुरी लोकनाट्य के संस्थापक और महान समाज सुधारक भिखारी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए। उन्होंने कहा कि देश और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार है, फिर भी भिखारी ठाकुर के योगदान की अनदेखी की जा रही है।

उन्होंने कहा कि सारण के सांसद राजीव प्रताप रूडी ने भिखारी ठाकुर के लिए पद्म भूषण की मांग की है, जिसका कोई विरोध नहीं है। लेकिन, उनका मानना है कि रूडी ने भिखारी ठाकुर के महत्व को कम आंका है। भिखारी ठाकुर ने भोजपुरी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ-साथ अपने नाटकों और गीतों के माध्यम से सामाजिक जागरूकता और राष्ट्रीय चेतना का संचार किया। उन्होंने शोषण, बाल विवाह, नारी उत्पीड़न, शराबखोरी और प्रवासी दुख जैसे मुद्दों को उठाया, जो स्वतंत्रता आंदोलन के साथ-साथ एक सामाजिक क्रांति थी।

उन्होंने कहा कि भिखारी ठाकुर की रचना ‘बिदेसिया’ केवल एक नाटक नहीं, बल्कि प्रवासी मजदूरों की पीड़ा का चित्रण करती है, जो आज भी प्रासंगिक है। उनकी रचना ‘बेटी-बेचवा’ बाल विवाह पर तीखा व्यंग्य करती है, जबकि ‘गबरघिचोर’ महिलाओं की स्वतंत्रता और सम्मान की बात करती है। वे सिर्फ कलाकार नहीं, बल्कि जन-गायक, लोक-मसीहा और सांस्कृतिक योद्धा थे। भोजपुरी समाज के लिए वे आस्था, सम्मान और पहचान का प्रतीक हैं। इसलिए, उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए।

वहीं, प्रदेश भाजपा के मीडिया पैनलिस्ट पंकज सिंह का कहना है कि भिखारी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग पुरानी है। उनका जीवन सादगी, संघर्ष, सामाजिक बदलाव और सांस्कृतिक जागरण का प्रतीक है। जिस तरह भूपेन हजारिका को भारत रत्न मिला, उसी प्रकार भिखारी ठाकुर को भी यह सर्वोच्च सम्मान मिलना चाहिए।

Point of View

बल्कि उन्होंने समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य भी किया। उनकी रचनाएँ आज भी प्रासंगिक हैं। हम सभी को उनके योगदान को सही मान्यता देने की आवश्यकता है। यह न केवल उनके प्रति सम्मान है, बल्कि संस्कृति और समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी भी है।
NationPress
04/09/2025

Frequently Asked Questions

भिखारी ठाकुर कौन थे?
भिखारी ठाकुर भोजपुरी के प्रसिद्ध कवि और लोकनाट्य परंपरा के संस्थापक थे।
क्या भिखारी ठाकुर को भारत रत्न मिलेगा?
इसकी मांग की जा रही है, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।
भिखारी ठाकुर की कौन-सी रचनाएँ प्रसिद्ध हैं?
उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में 'बिदेसिया', 'बेटी-बेचवा' और 'गबरघिचोर' शामिल हैं।
भिखारी ठाकुर का योगदान क्या है?
उन्होंने भोजपुरी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया।
भिखारी ठाकुर को कब याद किया जाता है?
उनकी पुण्यतिथि 10 जुलाई को मनाई जाती है।