क्या बिहार के चुनावी रण में इस बार कई 'योद्धाओं' के कटेंगे टिकट?

सारांश
Key Takeaways
- राजद और भाजपा ने पुराने नेताओं को बे-टिकट करने का निर्णय लिया है।
- नए उम्मीदवारों को मौका देने की योजना बनाई जा रही है।
- टिकट वितरण स्थानीय समीकरणों के आधार पर होगा।
पटना, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और महागठबंधन दोनों के बीच सीट बंटवारे की स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। इन दोनों गठबंधनों में सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है, जबकि राजद और भाजपा ने कई पुराने योद्धाओं को 'बे-टिकट' करने का निर्णय लिया है।
सूत्रों के अनुसार, भाजपा में कई मंत्रियों और पूर्व मंत्रियों के टिकट कटने की संभावना है। जबकि राजद के मुताबिक, डेढ़ दर्जन से अधिक मौजूदा विधायकों का टिकट काटने की योजना बनाई जा रही है।
राजद का मानना है कि संगठन को मजबूत बनाने और जनता में नया उत्साह पैदा करने के लिए पुराने चेहरों की जगह नए उम्मीदवारों को मौका देना आवश्यक है। एक राजद नेता के अनुसार, इस बार 'नाम नहीं, काम पर' उम्मीदवारों का चयन किया जा रहा है। ऐसे में कुछ पुराने नेताओं के टिकट कटना तय है और नए चेहरे देखने को मिलेंगे।
राजद के सूत्रों का कहना है कि पाला बदलकर आने वालों को टिकट नहीं दिया जाएगा। पार्टी के प्रमुख लालू यादव और तेजस्वी यादव ने साफ संकेत दिए हैं कि वफादारी और जनसंपर्क को टिकट वितरण का महत्वपूर्ण आधार बनाया जाएगा। हर सीट पर स्थानीय समीकरणों की समीक्षा कर उम्मीदवारों के कार्यों के आधार पर टिकट तय किया जाएगा।
वहीं, भाजपा और जदयू में भी कई विधायकों के टिकट पर तलवार लटक रही है। ये दोनों दल इस चुनाव में टिकट वितरण में एंटी-इनकंबेंसी को प्राथमिकता दे रहे हैं। बिना प्रदर्शन वाले विधायकों और क्षेत्र में नाराजगी वाले विधायकों का टिकट कटना तय माना जा रहा है। कई सीटों पर दोनों पार्टियों द्वारा नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है।
भाजपा की चुनाव समिति की बैठक के अनुसार, पार्टी इस बार अपने एक तिहाई से अधिक विधायकों के टिकट काटने की योजना बना रही है। बताया गया है कि टिकट कटने के पीछे जनता की नाराजगी, एंटी-इनकंबेंसी, उम्र, पार्टी और सहयोगी दलों के नेताओं का विरोध और भ्रष्टाचार के आरोपों को ध्यान में रखा गया है।
हालांकि, राजनीतिक दलों के कार्यालयों में टिकट मांगने वालों की बड़ी भीड़ जुटी हुई है और वे टिकट पाने के लिए जुगाड़ कर रहे हैं। यह तय है कि पहले गठबंधन में सीट बंटवारे के बाद ही उम्मीदवारों की तस्वीर साफ होगी।