क्या बिहार में महिलाओं को वोटिंग से वंचित करने की साजिश है? - अलका लांबा

सारांश
Key Takeaways
- बिहार में महिलाओं को मताधिकार से वंचित किए जाने का मामला गंभीर है।
- अलका लांबा ने भाजपा और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
- कांग्रेस की वोटर अधिकार यात्रा का उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना है।
- धर्म और जाति के आधार पर प्रशासनिक कार्रवाई की जा रही है।
- महिला विश्व कप मैच पर भी लांबा की टिप्पणियाँ महत्वपूर्ण हैं।
नई दिल्ली, 5 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस की नेता अलका लांबा ने यह गंभीर आरोप लगाया है कि बिहार में बड़ी संख्या में महिलाओं, विशेषकर दलित और मुस्लिम महिलाओं को उनके मताधिकार से वंचित किया गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने एक सुनियोजित साजिश के तहत एक बड़े तबके को वोट देने से रोकने का काम किया है, जिसमें चुनाव आयोग भी शामिल है।
अलका लांबा ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ का मुख्य उद्देश्य लोगों को मतदान के अधिकार के प्रति जागरूक करना और 'वोट चोरी' की कोशिशों को रोकना रहा है।
उन्होंने खुलासा किया कि बिहार के छह जिलों में लगभग 2.27 मिलियन (लगभग 23 लाख) महिलाओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं, जो 59 विधानसभा सीटों से संबंधित हैं।
अलका लांबा ने कहा कि चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकता है। उन्होंने कांग्रेस के एसआईआर के खिलाफ खड़े रहने की बात की और कहा कि हम इसके खिलाफ हमेशा आवाज उठाते रहेंगे।
अलका लांबा का कहना है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा आज भी प्रासंगिक है, क्योंकि देश में धर्म के नाम पर नफरत फैलाने की कोशिशें जारी हैं। उन्होंने बरेली में हुई एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि “अगर किसी मुसलमान ने ‘आई लव मोहम्मद’ कहा तो उसमें आपत्तिजनक क्या था? फिर भी वहां दंगे हुए।”
उन्होंने जौनपुर की एक घटना का उल्लेख किया, जहां एक गर्भवती मुस्लिम महिला को धर्म के आधार पर इलाज से वंचित किया गया। लांबा ने आरोप लगाया कि योगी सरकार धर्म और जाति के आधार पर प्रशासनिक कार्रवाई कर रही है।
भारत बनाम पाकिस्तान महिला विश्व कप मैच पर प्रतिक्रिया देते हुए अलका लांबा ने कहा, “चाहे पुरुषों का मैच हो या महिलाओं का, मौजूदा हालात में भारत-पाकिस्तान मैच नहीं होना चाहिए था। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में निर्दोष नागरिक मारे गए, लेकिन किसी को उनकी परवाह नहीं है। गृह मंत्री अमित शाह के बेटे, जो क्रिकेट बोर्ड के मुखिया हैं, उनकी इच्छा के कारण यह मैच आयोजित हुआ।”