क्या बिहार में निष्पक्ष चुनाव होना चाहिए? विपक्ष सवाल उठाकर निभा रहा अपनी जिम्मेदारी: राज बब्बर

सारांश
Key Takeaways
- बिहार विधानसभा चुनाव में निष्पक्षता की आवश्यकता है।
- विपक्ष के सवालों को गंभीरता से लेना चाहिए।
- मतदाता सूची में अनियमितताओं पर ध्यान देना आवश्यक है।
- राजनीतिक सम्मान और पहचान की आवश्यकता है।
- कांवड़ यात्रा की घटनाओं का पूर्व अनुमान लगाना जरूरी है।
लखनऊ, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पूर्व चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण पर विपक्ष के उठाए गए सवालों को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राज बब्बर ने उचित ठहराया है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष के उठाए गए सवालों को गंभीरता से लेते हुए सरकार और चुनाव आयोग को निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने चाहिए। राज बब्बर ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि हाल के चुनावों के दौरान मतदाता सूची और डाले गए वोटों की संख्या में होने वाली कथित अनियमितताओं पर विपक्ष ने प्रश्न उठाए हैं। हालांकि, सरकार इन सवालों का उत्तर नहीं दे पाई। विपक्ष अपने सवाल पूछकर अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है। उन्होंने चुनाव आयोग से इन मुद्दों को गंभीरता से लेने की अपील की है।
महाराष्ट्र भाषा विवाद पर राज बब्बर ने कहा कि महाराष्ट्र देश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जब हम हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की बात करते हैं, तो महाराष्ट्र के लोग इसके लिए अपनी जान देने को भी तैयार हैं। लेकिन, स्वाभिमान और सम्मान की बात पर उन्हें अपनी बात रखने का पूरा हक है। हर राज्य चाहता है कि उसकी पहचान और गौरव को मान्यता मिले, इसमें कोई बुराई नहीं है। यह दूसरों को नीचा दिखाने का मामला नहीं है, बल्कि आपसी सम्मान और एकता के साथ खड़े होने की बात है। सरकार को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
कांग्रेस नेता ने संगठन सृजन कार्यक्रम पर कहा, "यह एक महत्वपूर्ण क्षण है। यह प्रक्रिया कांग्रेस पार्टी के भीतर, विशेषकर उत्तर प्रदेश में, बहुत पहले शुरू होनी चाहिए थी। हालाँकि, नेतृत्व ने, विशेषकर दिल्ली में बैठे लोगों ने, अब सही कदम उठाए हैं। इस प्रक्रिया के माध्यम से विश्वसनीयता स्थापित करने में मदद मिलेगी। इससे लोगों में जिम्मेदारी की भावना भी उत्पन्न होगी।"
कांवड़ यात्रा को लेकर हाल में हुई घटनाओं पर राज बब्बर ने कहा कि हर साल जब कांवड़ यात्रा शुरू होती है, तो इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं। अगर पिछले वर्ष या उससे पहले भी कुछ ऐसा हुआ था, तो क्या सरकार की जिम्मेदारी नहीं है कि वह इन मुद्दों को पहले से ही सुलझाए? मामले को सुलझाने के बजाय, वे कांवड़ यात्रा शुरू होने तक इंतजार करते हैं, यह जानते हुए कि पुराने तनाव फिर से उभरेंगे, भावनाएं भड़केंगी और लोग एक-दूसरे पर हमला करेंगे। ऐसा लगता है कि यह जानबूझकर किया जा रहा है।