क्या छठ के बाद भाजपा प्रवासी मतदाताओं को रोकने में सफल होगी?

सारांश
Key Takeaways
- छठ पूजा बिहारवासियों के लिए महत्वपूर्ण त्योहार है।
- भाजपा ने प्रवासी मतदाताओं को रोकने के लिए बूथ-स्तरीय अभियान चलाया है।
- प्रवासी मतदाताओं की संख्या 48 लाख से अधिक है।
- मतदान में भाग लेना लोकतंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- भाजपा ने सभी जिलों में सक्रियता बढ़ाई है।
पटना, 23 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में चुनावी माहौल बनने के साथ ही भाजपा की चिंता बढ़ गई है कि छठ पूजा के बाद प्रवासी मतदाताओं को कैसे रोका जाए। छठ पूजा का त्योहार मनाने के लिए देश भर में बसे बिहारवासी अपने प्रदेश की ओर लौटते हैं।
बिहार में दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को मतदान होना है। वहीं, छठ पूजा 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक चलेगी। लेकिन, इसके बाद भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती प्रवासी मतदाताओं को रोकना है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 48 लाख से अधिक प्रवासी बिहार छठ पूजा मनाने के लिए अपने प्रदेश का रुख करते हैं। इनमें से 45.78 लाख घरेलू प्रवासी और 2.17 लाख विदेशी कामकाजी बिहारवासी शामिल हैं।
यह सभी लोग हर साल छठ का त्योहार मनाने के बाद अपने कामकाजी स्थल पर लौट जाते हैं। आमतौर पर, छठ पूजा के बाद लोग बिहार में रुकने से कतराते हैं।
अब, जब बिहार में छठ के बाद चुनाव होना है, तो भाजपा ने सभी प्रवासी लोगों को रोकने के लिए एक विस्तृत योजना बनाई है। पार्टी के एक सूत्र के अनुसार, राज्य के सभी जिलों में बूथ-स्तरीय अभियान शुरू किया गया है। इसके तहत पार्टी कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को मतदान के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
भाजपा का कहना है कि हम समझते हैं कि छठ के बाद आम बिहारी के लिए अपने प्रदेश में रुकना कठिन हो जाता है, क्योंकि उन्हें नौकरी खोने का डर होता है। लेकिन, हम उन्हें मतदान का महत्व समझा रहे हैं। हम यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में मतदान का क्या मूल्य है।
जानकारी के अनुसार, बिहार विधानसभा चुनाव में प्रवासी मतदाताओं की भूमिका को देखते हुए बूथ कार्यकर्ताओं और जिला अध्यक्षों को सक्रिय रहने का निर्देश दिया गया है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्रवासी मतदाताओं की सबसे अधिक संख्या पूर्वी चंपारण (6.14 लाख), पटना (5.68 लाख), सीवान (5.48 लाख), मुजफ्फरपुर (4.31 लाख) और दरभंगा (4.3 लाख) जैसे जिलों में है। ये सभी जिले पहले चरण के मतदान के तहत कवर किए जाएंगे।