क्या भगवा और हिंदुओं के खिलाफ साजिश रची गई थी? - रामेश्वर शर्मा

सारांश
Key Takeaways
- भाजपा विधायकों ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
- एनआईए के फैसले ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है।
- प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी आरोपियों को बरी किया गया है।
- यह फैसला हिंदू धर्म की छवि को प्रभावित करता है।
- कांग्रेस की प्रतिक्रिया ने इसे और विवादास्पद बना दिया है।
भोपाल, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मालेगांव बम धमाकों से संबंधित एनआईए की विशेष अदालत के निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए, मध्य प्रदेश के भाजपा विधायकों ने कहा कि इस निर्णय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस ने भगवा और हिंदुओं को आतंकवादी साबित करने की एक साजिश बनाई थी।
इस मामले में एनआईए की विशेष अदालत का फैसला आया है, जिसमें भाजपा की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर समेत सात आरोपियों को बरी किया गया है। भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने इस पर कहा कि मालेगांव की घटना पर आया फैसला यह सिद्ध करता है कि कांग्रेस की सोची-समझी साजिश के तहत हिंदुओं और भगवा को आतंकवादी साबित करने का जो प्रयास किया गया था, उसका पर्दाफाश हो गया है।
उन्होंने आगे कहा कि दिग्विजय सिंह, मनमोहन सिंह की सरकार और सोनिया गांधी की मंडली ने जानबूझकर देश के साधु-संतों को निशाना बनाया।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से सांसद रहीं प्रज्ञा ठाकुर भी इस मामले में एक आरोपी थीं। विधायक शर्मा ने कहा कि प्रज्ञा ठाकुर समेत कई लोगों को पीड़ा दी गई, जितनी यातनाएं दी गईं, इसके पीछे कांग्रेस का षड्यंत्र है। कांग्रेस ने हिंदुओं और भगवा को आतंकवादी साबित करने के साथ-साथ हिंदू धर्म को बदनाम करने की कोशिश की, लेकिन न्यायालय के फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हिंदुस्तान का हिंदू बाबा साहब के संविधान का अक्षरशः पालन करता है, न्यायप्रिय और शांतिपूर्ण तरीके से अपनी लड़ाई लड़ता है। हिंदू न तो पहले आतंकवादी था और न अब है। हिंदू तो आतंकवाद का मुंह तोड़ जवाब देने को तैयार है।
उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि 'भगवा आतंकवाद' जैसे शब्दों का निर्माण इसलिए किया जाता है ताकि आतंकवादियों और नक्सलियों पर पर्दा डाला जा सके। अब दिग्विजय सिंह और चिदंबरम जैसे लोग जो गैर जिम्मेदाराना बयान देते हैं, उन्हें माफी मांगनी चाहिए।
पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक अर्चना चिटनीस ने कहा कि जिन लोगों को 17 साल से प्रताड़ित किया गया, उन्हें न्याय मिला है। देश की न्यायालयीन व्यवस्था पर श्रद्धा ऐसे फैसलों से और बढ़ती है। इसके साथ ही जो नेता गलत नैरेटिव बनाते हैं और बहुसंख्यकों का अपमान करते हैं, उनके लिए यह फैसला एक सीख है।
पूर्व मंत्री और विधायक गोपाल भार्गव ने न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर हिंदुत्व की ध्वजवाहक हो सकती हैं, लेकिन आतंकवादी नहीं। राज्य सरकार के मंत्री गोविंद राजपूत ने भी न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है।
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस फैसले को अपील योग्य बताया है। इस पर राज्य की मंत्री कृष्णा गौर ने कहा कि कांग्रेस की राजनीति हमेशा तुष्टिकरण की रही है। उनके बयान इस बात को साबित करते हैं कि वे न्यायालय के निर्णय को स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
वास्तव में, 17 साल पहले 2008 में मालेगांव में बम धमाका हुआ था। एनआईए की विशेष अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया है, जिसमें भाजपा की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है।