क्या देश का प्रधानमंत्री और राज्य का मुख्यमंत्री घुसपैठियों द्वारा तय होंगे?: अमित शाह

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क्या देश का प्रधानमंत्री और राज्य का मुख्यमंत्री घुसपैठियों द्वारा तय होंगे?: अमित शाह

सारांश

क्या देश का नेतृत्व घुसपैठियों के हाथ में होगा? केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में चुनाव सुधारों के दौरान महत्वपूर्ण बातें साझा की हैं। जानें इस मुद्दे पर उनका क्या कहना है और क्यों मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण आवश्यक है।

Key Takeaways

  • मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण आवश्यक है।
  • 2004 से पहले किसी भी दल ने एसआईआर का विरोध नहीं किया।
  • मतदाता सूची की शुद्धिकरण की प्रक्रिया अनिवार्य है।
  • अमित शाह ने घुसपैठियों के प्रभाव पर चिंता जताई।
  • मतदाता की सही पहचान चुनावों की पारदर्शिता के लिए जरूरी है।

नई दिल्ली, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा करते समय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि 2004 तक, किसी भी राजनीतिक दल ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का विरोध नहीं किया था। स्वच्छ मतदाता सूचियों और स्वस्थ लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए यह प्रक्रिया आवश्यक है। यदि मतदाता सूचियां, जो चुनावों का आधार हैं, सटीक और अपडेट नहीं हैं, तो हम चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता की उम्मीद नहीं कर सकते। इसलिए, मतदाता सूचियों की एसआईआर अनिवार्य है। इसी के अनुरूप, चुनाव आयोग ने 2025 में एसआईआर कराने का निर्णय लिया है।

अमित शाह ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि 2004 के बाद अब 2025 में एसआईआर हो रहा है और इस समय सरकार एनडीए की है। 2004 तक एसआईआर प्रक्रिया का किसी भी दल ने विरोध नहीं किया था, क्योंकि यह चुनावों को पवित्र रखने की प्रक्रिया है। लोकतंत्र में चुनाव जिस आधार पर होते हैं, अगर मतदाता सूची ही प्रदूषित हो तो चुनाव कैसे साफ हो सकता है? समय-समय पर मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण जरूरी है, इसलिए चुनाव आयोग ने निर्णय लिया कि 2025 में एसआईआर किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि क्या किसी भी देश का लोकतंत्र सुरक्षित रह सकता है अगर उस देश का प्रधानमंत्री और राज्य का मुख्यमंत्री कौन होगा, यह घुसपैठिए तय करें? एक मतदाता का एक से ज्यादा जगह वोट नहीं होना चाहिए। जिन लोगों की मृत्यु हो चुकी है, उनका नाम मतदाता सूची में नहीं होना चाहिए। यह एसआईआर, मतदाता सूची का शुद्धिकरण है।

गृह मंत्री ने कहा कि इससे कुछ दलों के राजनीतिक स्वार्थ आहत होते हैं। मुझे उन दलों के प्रति एक प्रकार की अनुकंपा भी है, क्योंकि देश के मतदाता तो वोट देते नहीं हैं। कुछ विदेशी देते थे, वो भी चले जाएंगे।

उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 5 नवंबर को एक प्रेस वार्ता में एक 'परमाणु बम' फोड़ा। उस ‘परमाणु बम’ में उन्होंने दावा किया कि हरियाणा में एक ही घर में 501 वोटर हैं। इस पर चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि हाउस नंबर 265 कोई छोटा मकान नहीं है, बल्कि एक एकड़ के पुश्तैनी प्लॉट पर बने कई परिवारों का संयुक्त आवास है। हर परिवार को अलग-अलग घर नंबर नहीं दिए गए हैं, इसलिए उनका हाउस नंबर 265 ही लिखा है, और उनमें से एक परिवार की तीन पीढ़ियां साथ रह रही हैं। जब हरियाणा में कांग्रेस की सरकार चुनी गई तब से ये नंबर ऐसा ही चल रहा है। ये न ​तो फर्जी घर है और न ही फर्जी वोटर हैं।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस का दावा है कि मतदाता सूची में कुछ व्यक्तियों के नाम दो अलग-अलग स्थानों पर दर्ज हैं। दो बार नाम दर्ज होने वाले लोगों को दोष देना अनुचित है, क्योंकि यह अक्सर प्रणालीगत समस्याओं का परिणाम होता है।

उन्होंने कहा कि 2010 से, रिटर्निंग ऑफिसर के डुप्लिकेट प्रविष्टियों को हटाने का अधिकार समाप्त कर दिया गया है, जिसके कारण इस तरह की विसंगतियां उत्पन्न हुई हैं। वास्तव में, कई ऐसे नेता हैं जिनके नाम एक से अधिक स्थानों पर दर्ज हैं। ये अपडेट नियमों के कारण होने वाली आम गलतियां हैं। एसआईआर का उद्देश्य ऐसी घटनाओं को रोकना है, फिर भी हम पर 'वोट चोरी' का आरोप लगाया जा रहा है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण हमारे लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक है। अमित शाह के विचारों में एक गहरी चिंता है कि यदि मतदाता सूची सही नहीं है, तो चुनावों की निष्पक्षता खतरे में पड़ सकती है। हमें इस प्रक्रिया को सही तरीके से लागू करना चाहिए ताकि हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली सुरक्षित और प्रभावी बनी रहे।
NationPress
10/12/2025

Frequently Asked Questions

मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का क्या महत्व है?
मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी मतदाता सही तरीके से पंजीकृत हों और चुनावों में अनुचित प्रभाव न हो।
अमित शाह ने एसआईआर के बारे में क्या कहा?
अमित शाह ने कहा कि 2004 के बाद से किसी भी राजनीतिक दल ने एसआईआर का विरोध नहीं किया, और यह प्रक्रिया चुनावों को पवित्र रखने में मदद करती है।
क्या घुसपैठिए लोकतंत्र को प्रभावित कर सकते हैं?
अमित शाह ने इस बात पर चिंता जताई कि यदि घुसपैठिए तय करेंगे कि देश का नेतृत्व कौन करेगा, तो लोकतंत्र सुरक्षित नहीं रह सकता।
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