क्या 'हम दो, हमारे दो' केवल मोदी सरकार पर ही लागू होगा? - जयराम रमेश

Click to start listening
क्या 'हम दो, हमारे दो' केवल मोदी सरकार पर ही लागू होगा? - जयराम रमेश

सारांश

क्या जयराम रमेश का सवाल मोदी सरकार की जनसंख्या नीति पर एक नई बहस को जन्म देगा? जानें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की तीन संतान नीति के पीछे का तर्क और जयराम रमेश की प्रतिक्रिया।

Key Takeaways

  • जयराम रमेश का सवाल मोदी सरकार की नीति पर महत्वपूर्ण है।
  • आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने तीन संतान नीति का समर्थन किया।
  • राज्यों में दो से अधिक बच्चों के लिए अयोग्यता के नियम हैं।
  • जनसंख्या संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है।
  • बच्चों की परवरिश भी महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली, 6 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत द्वारा 'हम दो, हमारे तीन' की नीति को अपनाने की अपील पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने प्रश्न उठाया कि क्या केवल मोदी सरकार पर 'हम दो, हमारे दो' का नियम लागू होगा?

जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा कि गुजरात में जिनके दो से अधिक बच्चे हैं, उन्हें स्थानीय निकायों (पंचायत, नगरपालिका और नगर निगम) के चुनावों में भाग लेने से अयोग्य ठहराया जाता है। असम में, जिनके दो से अधिक बच्चे हैं, वे राज्य सरकार की किसी भी सेवा या पद के लिए योग्य नहीं माने जाते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि उत्तराखंड में जिनके दो से अधिक बच्चे हैं, उन्हें पंचायत चुनावों में भाग लेने से रोका गया है, लेकिन अब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, जो जल्द ही 75 वर्ष के हो जाएंगे, ने हर भारतीय दंपति से 'हम दो, हमारे तीन' की नीति अपनाने की अपील की है। क्या 'हम दो, हमारे दो' केवल मोदी सरकार पर लागू होगा?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित व्याख्यानमाला कार्यक्रम '100 वर्ष की संघ यात्रा: नए क्षितिज' में डॉ. मोहन भागवत ने कहा था कि हमें 'हम दो, हमारे तीन' की नीति को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया के सभी शास्त्रों में कहा गया है कि जिनका जन्मदर 3 से कम होता है, वे धीरे-धीरे लुप्त हो जाते हैं, इसलिए हमें तीन संतानें रखनी चाहिए।

डॉ. भागवत ने यह भी कहा कि जिन घरों में तीन संतानें होती हैं, वे ईगो मैनेजमेंट सीखती हैं और आगे चलकर उनके परिवार में कोई समस्या नहीं आती। उन्होंने यह भी बताया कि हमारे देश की राष्ट्रीय जनसंख्या नीति जन्मदर 2.1 की सिफारिश करती है, लेकिन मानव जन्म में 2.1 का अर्थ 3 होता है।

डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि भारत में हर नागरिक के घर में तीन बच्चे होने चाहिए। जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए तीन संतानें होनी चाहिए लेकिन इससे ज्यादा नहीं, क्योंकि बच्चों की परवरिश भी आवश्यक है। जन्मदर में कमी आ रही है। हिंदुओं का जन्मदर पहले से कम था और अब और घट रहा है। हर परिवार में कम से कम तीन बच्चे होने चाहिए।

Point of View

बल्कि सामाजिक भी है, जो हमें यह सोचने के लिए मजबूर करता है कि क्या हमारे सामाजिक ढांचे को इस तरह की नीतियों से प्रभावित किया जाना चाहिए।
NationPress
06/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या 'हम दो, हमारे दो' नीति केवल मोदी सरकार पर लागू है?
जयराम रमेश ने इस पर सवाल उठाया है कि क्या यह नीति सिर्फ मोदी सरकार पर ही लागू होती है, जबकि कई राज्यों में दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्तियों को चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराया जाता है।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने क्या कहा है?
मोहन भागवत ने तीन संतान रखने की अपील की है और कहा है कि इसके पीछे का तर्क जनसंख्या संतुलन को बनाए रखना है।