क्या सुधांशु त्रिवेदी ने उमर अब्दुल्ला पर अशोक स्तम्भ विवाद को लेकर सवाल उठाए?

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क्या सुधांशु त्रिवेदी ने उमर अब्दुल्ला पर अशोक स्तम्भ विवाद को लेकर सवाल उठाए?

सारांश

सुधांशु त्रिवेदी ने उमर अब्दुल्ला के अशोक स्तम्भ विवाद पर दिए बयान की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने विपक्षी दलों की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह देश की पहचान का मामला है। क्या यह केवल राजनीतिक खेल है, या कुछ और?

Key Takeaways

  • सुधांशु त्रिवेदी ने उमर अब्दुल्ला के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।
  • अशोक स्तम्भ भारत की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है।
  • विपक्षी दलों की चुप्पी पर सवाल उठाए गए।
  • यह मुद्दा केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भी है।
  • जनता को इस मुद्दे पर जागरूक रहने की आवश्यकता है।

नई दिल्ली, 6 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर हमला करते हुए अशोक स्तम्भ के बारे में उनके बयान की तीखी आलोचना की।

भाजपा प्रवक्ता ने मीडिया से बातचीत में कहा, "इंडी गठबंधन सरकार के मुखिया उमर अब्दुल्ला जिस प्रकार अशोक स्तम्भ के प्रति अपमानजनक टिप्पणी का समर्थन कर रहे हैं, वह अत्यंत निंदनीय है। उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए कि ऐसा नहीं होना चाहिए था। 1991 में जब ये घटनाएँ हुईं, तब वे चुप क्यों रहे? अशोक स्तम्भ सम्पूर्ण भारत की पहचान का प्रतीक है, जो सम्राट अशोक जैसे बिहार की धरती के पुत्र से जुड़ा है।"

उन्होंने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर बिहार का अपमान करने का आरोप लगाया और कहा कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की चुप्पी गंभीर सवाल उठाती है। त्रिवेदी ने कहा, "ये दल संविधान को अपने हाथ में रखते हैं और उसके अपमान में कोई कमी नहीं रखते।" उन्होंने सभी विपक्षी दलों से सवाल किया कि अशोक स्तम्भ के अपमान पर वे चुप क्यों हैं? इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस सोचती है कि इस मुद्दे पर चुप रहकर बच जाएगी, तो देश की जागरूक जनता इसका जवाब देगी।

इससे पहले, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हजरतबल दरगाह पर राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न लगाने पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी और इस गलती का बचाव करने के बजाय उसे स्वीकार किया जाना चाहिए था।

उन्होंने कहा, "पहला सवाल यह है कि क्या ऐसी पट्टिका वहाँ पहले से लगाई जानी चाहिए थी। मैंने पहले कभी किसी धार्मिक संस्थान या समारोह में इस प्रतीक चिह्न का उपयोग होते नहीं देखा। फिर ऐसा पत्थर लगाने की क्या आवश्यकता थी? यदि काम अच्छा होता, तो लोग खुद उसे पहचान लेते।"

मुख्यमंत्री ने याद करते हुए कहा कि उनके दादा, स्वर्गीय शेख मुहम्मद अब्दुल्ला ने हजरतबल दरगाह को वर्तमान आकार दिया था, लेकिन अपने द्वारा किए गए कार्य की पहचान के लिए कोई पट्टिका या प्रतीक चिह्न नहीं लगाया था।

उन्होंने कहा, "आज भी लोग उनके काम को बिना किसी नामपट्टिका के याद करते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि पत्थर की कभी आवश्यकता नहीं पड़ी।"

Point of View

तो हमें इसे एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण से देखना चाहिए। यह केवल एक राजनीतिक विवाद नहीं है, बल्कि हमारी पहचान का सवाल भी है।
NationPress
06/09/2025

Frequently Asked Questions

सुधांशु त्रिवेदी ने उमर अब्दुल्ला पर क्या आरोप लगाए?
सुधांशु त्रिवेदी ने उमर अब्दुल्ला पर अशोक स्तम्भ के प्रति अपमानजनक टिप्पणी का समर्थन करने का आरोप लगाया।
उमर अब्दुल्ला ने अशोक स्तम्भ के बारे में क्या कहा?
उमर अब्दुल्ला ने हजरतबल दरगाह पर राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न लगाने की आवश्यकता पर सवाल उठाया।
क्या त्रिवेदी ने विपक्षी दलों पर कोई आरोप लगाया?
हाँ, त्रिवेदी ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर बिहार को अपमानित करने का आरोप लगाया है।
क्या यह विवाद केवल राजनीतिक है?
यह विवाद सांस्कृतिक पहचान के साथ-साथ राजनीतिक मुद्दों को भी जोड़ता है।
सुधांशु त्रिवेदी ने किस प्रतीक की बात की?
उन्होंने अशोक स्तम्भ को सम्पूर्ण भारत की पहचान का प्रतीक बताया।