क्या हुमायूं कबीर ने बांग्लादेश का दौरा किया? सुवेंदु अधिकारी का दावा
सारांश
Key Takeaways
- बाबरी मस्जिद विवाद अब राजनीतिक गर्मी का केंद्र बन गया है।
- सुवेंदु अधिकारी ने हुमायूं कबीर के बांग्लादेश दौरे पर सवाल उठाए।
- राजनीतिक कारणों से स्थानीय समुदाय में असंतोष बढ़ रहा है।
- साधु-संतों ने भी मस्जिद नामकरण का विरोध किया है।
- समाज में एकता बनाए रखने की आवश्यकता है।
कोलकाता, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में 'बाबरी मस्जिद' की घोषणा के बाद राजनीतिक विवाद बढ़ता जा रहा है। इसी संदर्भ में, गुरुवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि राज्य में नागरिकों को भड़काने का प्रयास किया जा रहा है।
सुवेंदु अधिकारी ने नंदीग्राम में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "मंदिर-मस्जिद का निर्माण करने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन 'बाबरी मस्जिद' का नामकरण और 6 दिसंबर को नींव रखना, यह सब भड़काने का प्रयास है। इसके माध्यम से शांति और अमन को समाप्त करने की कोशिश की जा रही है।"
उन्होंने कहा कि सरकार और संबंधित एजेंसियों को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए। सुवेंदु अधिकारी ने यह भी दावा किया कि टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर हाल ही में बांग्लादेश गए थे। उन्होंने मांग की कि खुफिया एजेंसियों को यह जांच करनी चाहिए कि हुमायूं कबीर बांग्लादेश क्यों गए और किसके साथ उन्होंने बैठकें कीं?
राजनीतिक दलों के नेताओं के अलावा, साधु-संत भी 'बाबरी' नाम से मस्जिद का विरोध कर रहे हैं। निर्गुणानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि हमें मस्जिद बनाने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन इसका नाम बदलने की आवश्यकता है।
टीएमसी विधायक की घोषणा पर उन्होंने कहा, "यह पार्टी का निर्णय नहीं है, यह व्यक्तिगत रूप से मस्जिद बनाने का निर्णय है। भारत में मस्जिद, मंदिर, चर्च, और गुरुद्वारे जैसे धार्मिक स्थलों का निर्माण करने की स्वतंत्रता है। आपत्ति इस बात पर है कि जिस बाबर ने हिंदुओं को लूटा और उनके कत्ल किए, उसका नाम नहीं होना चाहिए।"
पद्मश्री कार्तिक महाराज ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "मुर्शिदाबाद में शासक नवाब सिराजुद्दौला थे। हमारे पूर्वज भी वहीं रहते थे। मुर्शिदाबाद में पहले कोई ऐसी स्थिति नहीं थी। इसने महान कलाकारों और शिक्षित व्यक्तियों को जन्म दिया है। मैं पिछले 50 वर्षों से मुर्शिदाबाद में रह रहा हूं और मुझे कभी कोई समस्या नहीं हुई।"
उन्होंने कहा कि राजनीतिक कारणों से समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। धुलियान, मालदा और कोलकाता के निकट जो घटनाएं हुईं, वे राजनीति से प्रेरित हैं। आम लोग इन चर्चाओं में शामिल नहीं होते, वे बस अपनी दैनिक जिंदगी जीते हैं।