क्या हमें एसआईआर प्रक्रिया पर संसद में चर्चा करने का मौका मिलना चाहिए? : मल्लिकार्जुन खड़गे

सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर प्रक्रिया पर चर्चा की मांग कर रहे विपक्षी दल
- सरकार पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप
- बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण के मुद्दे पर बहस
- संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की ज़रूरत
- मल्लिकार्जुन खड़गे का सरकार पर दबाव डालने का संकल्प
नई दिल्ली, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के मुद्दे पर विपक्ष संसद में बहस की मांग पर अड़ा है। बुधवार को भी विपक्षी दलों ने संयुक्त रूप से यह मांग उठाई।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि पूरा विपक्ष एसआईआर प्रक्रिया पर चर्चा चाहता है। हम सरकार पर पूरा दबाव डालेंगे और अगर सरकार नहीं मानती है तो यह समझा जाएगा कि सरकार संविधान और लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखती है।
'इंडिया' गठबंधन की संयुक्त प्रेस वार्ता में खड़गे ने आरोप लगाया कि सरकार को जहां समझ आता है, वहां वोट बढ़ा लेती है और अब वह बिहार में वोट काट रही है। हमें एसआईआर प्रक्रिया पर चर्चा करने का मौका मिलना चाहिए, ताकि जहां गड़बड़ी हुई है, असंवैधानिक तरीकों से काम किया जा रहा है, उस बारे में बात हो।
खड़गे ने कहा, "जब 21 जुलाई को तत्कालीन चेयरमैन (जगदीप धनखड़) ने कहा था कि 'हम धरती पर हो रही हर बात पर चर्चा कर सकते हैं,' लेकिन मौजूदा उपसभापति का कहना है कि सदन में चुनाव आयोग या एसआईआर से जुड़ी कोई चर्चा नहीं हो सकती। एक चेयरमैन हर मुद्दे पर चर्चा की बात करते हैं, तो एक पाबंदी लगाते हैं।"
खड़गे ने सरकार पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा, "अगर सरकार चर्चा से भागती है, तो यह साफ संदेश जाएगा कि उसे संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास नहीं है।"
उन्होंने कहा कि बिहार में एसआईआर के नाम पर दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के वोट काटे जा रहे हैं। प्रवासी मजदूरों का हक छीना जा रहा है। हमारी मांग है कि संसद में एसआईआर पर चर्चा हो।
खड़गे ने कहा, "नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एसआईआर पर चर्चा बहुत जरूरी है। हम सभी एकमत से यह मांग उठा रहे हैं, लेकिन सरकार चर्चा के लिए तैयार नहीं हो रही है।"