क्या मोतिहारी सीट पर भाजपा का किला मजबूत रहेगा? गांधी के चंपारण सत्याग्रह की धरती पर चुनावी जंग

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क्या मोतिहारी सीट पर भाजपा का किला मजबूत रहेगा? गांधी के चंपारण सत्याग्रह की धरती पर चुनावी जंग

सारांश

मोतिहारी विधानसभा क्षेत्र, जो स्वतंत्रता संग्राम का गढ़ रहा है, अब 2025 के चुनावों में एक महत्वपूर्ण रणभूमि बन चुका है। भाजपा का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, लेकिन क्या यह क्षेत्र की ऐतिहासिक विरासत को बनाए रख पाएगा?

Key Takeaways

  • मोतिहारी का ऐतिहासिक महत्व स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा है।
  • भाजपा ने 2005 से क्षेत्र में लगातार जीत हासिल की है।
  • किसान मुद्दे और विकास की उम्मीदें मतदाताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • 2025 के चुनाव में युवा और महिला मतदाताओं की भूमिका अहम होगी।
  • मोतिहारी में मतदान 11 नवंबर को होगा।

मोतिहारी, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के पूर्वी चंपारण जिले का मोतिहारी विधानसभा क्षेत्र केवल स्वतंत्रता संग्राम की ऐतिहासिक भूमि नहीं है, बल्कि 2025 के विधानसभा चुनावों में एक महत्वपूर्ण रणभूमि भी बन चुका है।

मोतिहारी का नाम स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ है। यह शहर कभी एकीकृत चंपारण जिले का मुख्यालय था, जिसे 1972 में पूर्वी और पश्चिमी चंपारण में विभाजित किया गया। 1917 में, मोहनदास करमचंद गांधी ने यहां ब्रिटिश जमींदारों द्वारा थोपी गई नील की खेती के खिलाफ पहला सत्याग्रह शुरू किया था।

किसानों के शोषण के खिलाफ यह विद्रोह न केवल स्थानीय था, बल्कि यह तीन दशकों बाद भारत की आजादी की नींव भी बना। कहा जाता है कि 'चंपारण न होता तो गांधी महात्मा न बनते।' आज भी गांधी आश्रम, भितिहरवा और नीलहा स्मारक पर्यटकों को इतिहास की याद दिलाते हैं। यह विरासत मतदाताओं में गर्व की भावना जगाती है, जो उम्मीदवारों से न्याय और विकास की अपेक्षा रखते हैं।

चंपारण सत्याग्रह ने ब्रिटिश शोषण का मुकाबला किया और भारत की आजादी की नींव रखी। आज भी गांधी आश्रम और भितिहरवा जैसे स्थल पर्यटकों और मतदाताओं को इतिहास की याद दिलाते हैं।

अगर चुनाव के इतिहास की बात करें, तो मोतिहारी कांग्रेस का गढ़ रहा है। 1952 से 1980 के बीच कांग्रेस ने आठ में से सात चुनाव जीते, सिवाय 1969 के जब जनसंघ विजयी हुआ। 1980 के दशक में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) का प्रभाव रहा, और नेता त्रिवेणी तिवारी ने 1985-1995 में तीन बार जीत हासिल की। 2000 में राजद ने क्षेत्र में कब्जा किया, लेकिन 2005 से भाजपा ने इसे अपने कब्जे में ले लिया।

वर्तमान विधायक प्रमोद कुमार ने 2005, 2010, 2015 और 2020 में लगातार चार बार जीत दर्ज की। हर बार उनका मार्जिन बढ़ता गया। उन्होंने 2020 में राजद के ओम प्रकाश चौधरी को 14,645 वोटों से हराया।

पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्र (6 विधानसभा सीटों वाला) में भाजपा ने 2020 में 4 सीटें जीतीं, जदयू को 1 और राजद को 1 सीट मिली। 2024 लोकसभा में भाजपा ने 5 में बढ़त बनाई।

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, विधानसभा क्षेत्र की कुल आबादी 5,45,580 है, जिनमें 2,87,014 पुरुष और 2,58,566 महिलाएं हैं। मतदाताओं की संख्या 3,31,575 है, जिनमें 1,76,024 पुरुष, 1,55,542 महिलाएं और 9 थर्ड श्रेणी के मतदाता हैं। ग्रामीण बहुल इस सीट पर 59.67 प्रतिशत मतदान दर (2020) देखी गई, जो युवा और महिला मतदाताओं की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है।

क्षेत्र के मुद्दे ग्रामीण हैं, जिनमें बाढ़ नियंत्रण, गंडक नदी का कटाव, बेरोजगारी, प्रवासन (75 लाख बिहारी बाहर) और कृषि संकट शामिल हैं।

मोतिहारी में बिहार चुनाव के दूसरे चरण में 11 नवंबर को मतदान होगा, जबकि 14 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे।

Point of View

बल्कि यह राष्ट्रीय राजनीति की दिशा भी तय कर सकता है। भाजपा की मजबूत उपस्थिति और स्थानीय मुद्दों पर मतदाता की जागरूकता, इस चुनाव को और भी महत्वपूर्ण बनाती है।
NationPress
21/12/2025

Frequently Asked Questions

मोतिहारी सीट का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
मोतिहारी सीट का ऐतिहासिक महत्व महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह से जुड़ा है, जिसने भारत की स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी।
भाजपा ने मोतिहारी में कब से चुनावी जीत प्राप्त की है?
भाजपा ने 2005 से मोतिहारी विधानसभा क्षेत्र में लगातार जीत प्राप्त की है।
मोतिहारी विधानसभा क्षेत्र की जनसंख्या क्या है?
मोतिहारी विधानसभा क्षेत्र की कुल जनसंख्या 5,45,580 है।
मोतिहारी में 2025 चुनाव कब होंगे?
मोतिहारी में 2025 विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 11 नवंबर को मतदान होगा।
इस क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
मोतिहारी में बाढ़ नियंत्रण, बेरोजगारी, और कृषि संकट जैसे प्रमुख मुद्दे हैं।
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