क्या मुस्लिम महिलाओं को अब तक बराबरी का दर्जा नहीं मिला?

सारांश
Key Takeaways
- मुस्लिम महिलाओं को अब तक बराबरी का दर्जा नहीं मिला है।
- घरेलू हिंसा के मामलों में वृद्धि हो रही है।
- सशक्त नारी का नारा महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने के लिए है।
- मिशन शक्ति 5.0 महिलाओं के लिए योजनाओं को सशक्त बनाने में मदद कर रहा है।
- महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
बुलंदशहर, २४ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. बबीता चौहान ने बुधवार को बुलंदशहर में महिला संबंधी मामलों पर जनसुनवाई की। इस अवसर पर उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में प्रदेश की सामाजिक स्थिति, महिलाओं के मुद्दों और हाल के विवादास्पद बयानों पर अपनी स्पष्ट राय व्यक्त की।
'आई लव मोहम्मद' विवाद पर बबीता चौहान ने कहा कि ऐसे अभियान का कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश का माहौल बेहद अच्छा है और प्रदेश तथा देश सुरक्षित हाथों में हैं। उनके अनुसार, ऐसे मुद्दे केवल समाज में भ्रम फैलाने और राजनीति करने के लिए उठाए जाते हैं, जबकि आम जनता इससे प्रभावित नहीं होती।
मौलाना तौकीर द्वारा डांडिया कार्यक्रम पर दिए गए बयान पर भी बबीता चौहान ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज ने आज तक महिलाओं को बराबरी का अधिकार नहीं दिया है। मुस्लिम महिलाओं को हमेशा ही उपयोग की वस्तु की तरह घर की चारदीवारी में सीमित रखा गया है। वे सिर्फ बच्चों को जन्म देने और परिवार बढ़ाने तक सीमित कर दी गईं। उन्होंने कहा कि अब मुस्लिम महिलाएं विद्रोह करना सीख चुकी हैं, लेकिन उन्हें घर से बाहर आने की अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि पाप का घड़ा भर चुका है, और जिस दिन यह फूटेगा, उस दिन बड़ा विस्फोट होगा।
डॉ. बबीता चौहान ने बताया कि महिला आयोग के पास सबसे अधिक मामले घरेलू हिंसा से संबंधित आते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों को हल करने में उन्हें खुशी मिलती है। उनका कहना है कि वे कभी भी किसी एक पक्ष की बात सुनकर निर्णय नहीं लेतीं। पहले शिकायतकर्ता महिला को सुना जाता है, फिर पति या उसके परिवार को बुलाकर दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने का प्रयास किया जाता है।
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि आज घरेलू हिंसा के मामलों के पीछे मोबाइल फोन और सोशल मीडिया एक बड़ी वजह बनते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब परिवार के सदस्य साथ बैठकर बातचीत करते हैं, तो कई बार रिश्तों में सुधार हो जाता है और टूटते परिवार को बचाया जा सकता है।
महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री का नारा 'सशक्त नारी, समृद्ध प्रदेश' वास्तव में महिलाओं के जीवन को नई दिशा देने वाला है। यह नारा महिलाओं के रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि महिलाओं पर पहले कभी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया, लेकिन अब मिशन शक्ति अभियान 5.0 के अंतर्गत महिलाओं को सभी योजनाओं का लाभ मिलेगा।
उन्होंने बताया कि मिशन 5.0 ने पहले से चल रही योजनाओं को और मजबूत किया है और अब अधिकारी सुनिश्चित कर रहे हैं कि योजनाओं का लाभ सीधे महिलाओं तक पहुंचे। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और आत्मनिर्भरता को महिलाओं के सशक्तीकरण का आधार बताते हुए कहा कि यह केवल महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के विकास के लिए आवश्यक है।
इसके अलावा, अभिनेता शाहरुख खान को नेशनल अवार्ड मिलने पर बबीता चौहान ने खुशी व्यक्त की और कहा कि वे इस पुरस्कार के योग्य हैं। वहीं, अभिनेत्री पूनम पांडे पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि वह ऐसा किरदार नहीं है जिसके बारे में गंभीरता से चर्चा की जाए।