क्या पेट की समस्याओं से जूझना मुश्किल हो गया है? गोरक्षासन है उपाय!
सारांश
Key Takeaways
- गोरक्षासन पेट की समस्याओं का प्रभावी समाधान है।
- यह आसन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करता है।
- नियमित अभ्यास से कुंडलिनी जागरण संभव है।
- एकाग्रता और ध्यान में सुधार होता है।
- सुरक्षित अभ्यास के लिए योग प्रशिक्षक की सलाह लें।
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। आजकल अपच, गैस, एसिडिटी और कब्ज जैसी पेट की समस्याएं हर किसी को परेशान कर रही हैं। ये दिखने में सामान्य समस्याएं समय के साथ कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं। लेकिन यदि पेट साफ हो तो आधी बीमारियां अपने आप ही समाप्त हो जाती हैं। गोरक्षासन पेट की सभी समस्याओं का एक उत्कृष्ट उपाय है।
मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योगा ने बताया है कि गोरक्षासन एक अत्यंत लाभकारी आसन है। योग विशेषज्ञों का मानना है कि यह आसन शरीर, मन और प्राण को संतुलित करने में सहायक है।
गोरक्षासन नाथ योगियों के साधना का मूल आधार है। इसके नियमित अभ्यास से कुंडलिनी जागृति, मेरुदंड की लचक और एकाग्रता में वृद्धि होती है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो पेट की समस्याओं से परेशान हैं, ध्यान लगाते हैं या लंबे समय तक स्थिर बैठने की क्षमता बढ़ाना चाहते हैं।
गोरक्षासन करने की प्रक्रिया सरल है। जमीन पर बैठकर पैरों को सामने फैलाएं। फिर दोनों पैरों को मोड़कर तलवों को आपस में मिलाएं। एड़ियों को नितंबों के पास लाकर बैठ जाएं और घुटनों को जमीन से छूने दें। हाथों को ज्ञान मुद्रा में घुटनों पर रखें और रीढ़ तथा गर्दन को सीधा रखें। इस स्थिति में यथासंभव रहें और फिर प्रारंभिक अवस्था में लौटें।
विशेषज्ञों का कहना है कि गोरक्षासन की शुरुआत 1-2 मिनट से करें और धीरे-धीरे समय बढ़ाएं। यह आसन पाचन तंत्र को मजबूत करता है, प्रोस्टेट ग्रंथि को स्वस्थ रखता है, पैरों और कमर के दर्द को कम करता है और ध्यान की गहराई को कई गुना बढ़ा देता है। इसे “सिद्ध आसन” भी कहा जाता है।
गोरक्षासन का नियमित अभ्यास अनेक समस्याओं का समाधान कर सकता है। हालांकि, विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि जो लोग घुटनों या कमर में गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उन्हें योग प्रशिक्षक की देखरेख में अभ्यास करना चाहिए।