क्या प्राकृतिक खेती ही भारत का कृषि भविष्य है?: पीएम मोदी
सारांश
Key Takeaways
- प्राकृतिक खेती भारत के कृषि भविष्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- किसानों की सक्रिय भागीदारी और अनुभव इस प्रक्रिया को सफल बना रहे हैं।
- कोयंबटूर जैसे स्थानों पर सम्मेलन आयोजित कर किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
- सरकारी योजनाएं किसानों को आर्थिक मदद प्रदान कर रही हैं।
- महिलाएं भी प्राकृतिक खेती में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को प्राकृतिक खेती को भारत के कृषि भविष्य की एक महत्वपूर्ण दिशा बताया। पीएम मोदी ने कहा कि अगस्त में तमिलनाडु के किसानों का एक समूह उनसे मिला था और उन्होंने स्थिरता व उत्पादकता बढ़ाने के लिए अपनाई जा रही नई कृषि तकनीकों के बारे में जानकारी साझा की थी। किसानों ने उन्हें कोयंबटूर में आयोजित होने वाले नेचुरल फार्मिंग समिट में आमंत्रित किया, जिसमें 19 नवंबर को प्रधानमंत्री ने स्वयं भाग लिया।
कोयंबटूर, जो एक एमएसएमई हब के रूप में जाना जाता है, ने इस बार प्राकृतिक खेती पर दक्षिण भारत का सबसे बड़ा सम्मेलन आयोजित किया। पीएम मोदी ने इसे भारत के कृषि क्षेत्र में सोच, दृष्टि और आत्मविश्वास के बड़े बदलाव का प्रतीक माना।
प्रधानमंत्री ने लिंक्डइन पर लिखा कि प्राकृतिक खेती भारतीय परंपरागत ज्ञान और आधुनिक पारिस्थितिक सिद्धांतों पर आधारित है। इसमें रासायनिक खादों के बजाय खेतों में जैव-विविधता, पौधों, पेड़ों और पशुधन के सहजीवन पर जोर दिया जाता है। मुल्चिंग, एरेशन और खेत के अवशेषों के पुनर्चक्रण के ज़रिये मिट्टी की सेहत को मजबूत किया जाता है।
कोयंबटूर समिट में भाग लेने वाले किसानों के अनुभवों ने प्रधानमंत्री को काफी प्रभावित किया। पीएम मोदी ने बताया कि कृषि वैज्ञानिक, एफपीओ लीडर्स, परंपरागत किसान, प्रथम पीढ़ी के ग्रेजुएट और यहां तक कि उच्च आय वाली कॉर्पोरेट नौकरियां छोड़कर खेती में लौटे लोग सभी एक साथ प्राकृतिक खेती के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं।
उन्होंने कुछ किसानों का विशेष उल्लेख किया कि एक किसान लगभग 10 एकड़ में केले, नारियल, पपीता, काली मिर्च और हल्दी के साथ मल्टी-लेयर खेती कर रहे हैं। उनके पास 60 देसी गायें, 400 बकरियां और स्थानीय नस्ल की मुर्गियां हैं।
एक अन्य किसान, मैप्पिल्लई सांबा और करुप्पु कवुनी जैसी देशी धान की किस्मों को संरक्षित कर रहे हैं और उनसे हेल्थ मिक्स, पफ्ड राइस, चॉकलेट और प्रोटीन बार जैसे वैल्यू-एडेड उत्पाद तैयार कर रहे हैं। एक प्रथम पीढ़ी के स्नातक किसान 15 एकड़ का प्राकृतिक फार्म चलाते हैं, अब तक 3,000 से अधिक किसानों को प्रशिक्षण दे चुके हैं और हर महीने 30 टन सब्जियों की आपूर्ति करते हैं।
कुछ एफपीओ संचालकों ने कसावा (टैपिओका) आधारित उत्पादों को जैव-एथेनॉल और कंप्रेस्ड बायोगैस के टिकाऊ कच्चे माल के रूप में आगे बढ़ाया। एक बायोटेक्नोलॉजी विशेषज्ञ ने समुद्री शैवाल (सीवीड) आधारित बायोफर्टिलाइज़र उद्योग स्थापित किया, जिसमें तटीय जिलों के 600 मछुआरे रोजगार पा रहे हैं, जबकि दूसरे नवप्रवर्तक ने पोषक तत्वों से भरपूर बायोएक्टिव बायोचार विकसित किया।
पीएम मोदी ने बताया कि पिछले वर्ष शुरू की गई राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन से देशभर में लाखों किसान जुड़ चुके हैं और हजारों हेक्टेयर भूमि प्राकृतिक खेती के दायरे में आ चुकी है। उन्होंने कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड, पीएम-किसान, निर्यात प्रोत्साहन और पशुपालन व मत्स्य क्षेत्र के लिए क्रेडिट सपोर्ट जैसी योजनाएं भी किसानों को सहारा दे रही हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि श्री अन्न (मिलेट्स) को बढ़ावा देने के साथ-साथ महिलाएं भी बड़े पैमाने पर प्राकृतिक खेती अपना रही हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि खेती, विज्ञान, उद्यमिता और सामुदायिक ऊर्जा का संगम कोयंबटूर में स्पष्ट दिखा और यह भविष्य में कृषि को और अधिक टिकाऊ व लाभकारी बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने लोगों से अपील की कि यदि वे प्राकृतिक खेती पर काम कर रहे टीमों या प्रयासों के बारे में जानते हों, तो उन्हें जानकारी अवश्य भेजें।