क्या राजद को मुस्लिम वोट चाहिए, लेकिन मुस्लिम नेतृत्व को समर्थन नहीं देना चाहते? : अख्तरुल ईमान

सारांश
Key Takeaways
- राजद को मुस्लिम वोटों की आवश्यकता है लेकिन मुस्लिम नेतृत्व को समर्थन नहीं देना चाहते।
- अख्तरुल ईमान ने राजद की राजनीति पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
- सेक्युलर वोटों का बिखराव भाजपा को मजबूत करता है।
- 2005 में मुस्लिम मुख्यमंत्री बनने का मौका राजद के रवैये के कारण खो दिया गया।
- राजद की रणनीतियों पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।
किशनगंज, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में इस वर्ष होने वाले चुनावों के मद्देनजर एआईएमआईएम ने अपनी तैयारियों को गति दी है। इस बीच, एआईएमआईएम के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने राजद पर तीखा हमला किया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि राजद को मुस्लिमों का वोट चाहिए, लेकिन वे मुस्लिम नेतृत्व को प्रोत्साहित नहीं करना चाहते।
अख्तरुल ईमान ने कहा कि जब सेक्युलर वोटों के बिखराव को रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं, तब राजद को सबसे अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। राजद वही पार्टी है जो "माई" यानी मुस्लिम-यादव समीकरण पर अपनी राजनीतिक गतिविधियां संचालित कर रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि राजद 1990 से एमवाई समीकरण पर राजनीति कर रही है और मुस्लिम लीडरशिप से उसे हमेशा कठिनाई रही है। उन्होंने कहा कि एआईएमआईएम के प्रस्ताव को ठुकराना इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि राजद ने एआईएमआईएम के चार विधायकों को अपने साथ जोड़ लिया है। जिस पार्टी से समर्थन मांगा गया, उसी पार्टी को अब नज़दीकी से बैठने में परेशानी हो रही है।
ईमान ने वर्ष 2005 की स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि राजद के कारण मुस्लिम बिहार का मुख्यमंत्री नहीं बन सका। उस समय लोजपा के नेता स्वर्गीय रामविलास पासवान ने मुस्लिम चेहरे को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन राजद के रवैये के कारण भाजपा को बिहार में अपनी जड़ें मजबूत करने का मौका मिल गया।
उन्होंने कहा कि सेक्युलर वोटों का बिखराव सांप्रदायिक ताकतों को मजबूत करता है। यदि राजद को इसकी चिंता नहीं है, तो इसका मतलब है कि उन्हें भाजपा से कोई समस्या नहीं है।