क्या रोजगार और आत्मनिर्भरता विश्वविद्यालय की प्रमुख जिम्मेदारी है? : राज्यपाल आनंदीबेन

सारांश
Key Takeaways
- रोजगार और आत्मनिर्भरता विश्वविद्यालयों की प्राथमिक जिम्मेदारी है।
- नवाचार और प्रतियोगिता से छात्रों की प्रतिभा को उजागर किया जा सकता है।
- महिलाओं के कौशल का उपयोग विश्वविद्यालयों को करना चाहिए।
- राजभवन में मॉडल विद्यालय का निर्माण किया जा रहा है।
- उच्च शिक्षा व्यवस्था की कमियों पर ध्यान देना आवश्यक है।
लखनऊ, 7 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के राजभवन में रविवार को राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क-2025 में यूपी के विश्वविद्यालयों द्वारा प्राप्त उत्कृष्ट रैंकिंग के उपलक्ष्य में संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि विद्यार्थियों को केवल पढ़ाना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन्हें रोजगार उपलब्ध कराना और आत्मनिर्भर बनाना ही विश्वविद्यालयों की प्रमुख जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि आज की दुनिया तेजी से बदल रही है और हर क्षेत्र में नवाचार नई संभावनाएं खोल रहा है। विश्वविद्यालयों को उपलब्ध संसाधनों का आपसी सहयोग से उपयोग कर निरंतर आगे बढ़ना होगा। इस शैक्षणिक यात्रा को रुकने नहीं देना है, बल्कि सतत गतिशील रखते हुए प्रगति के नए शिखर छूते रहना है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि विद्यार्थियों को सिर्फ पढ़ाना काफी नहीं है, बल्कि उन्हें रोजगार देना और आत्मनिर्भर बनाना ही विश्वविद्यालयों की असली जिम्मेदारी है।
राज्यपाल ने निर्देश दिया कि विभागीय प्रतियोगिताएं और गतिविधियां नियमित कराई जाएं, ताकि छुपी प्रतिभा और कौशल सामने आ सके। साथ ही यह भी जोड़ा कि शिक्षक, स्टाफ और विद्यार्थी ही विश्वविद्यालय की असली ताकत हैं। उन्होंने बताया कि राजभवन में 22 बच्चों को बांसुरी वादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है और उन्हें 26 जनवरी की परेड में प्रस्तुति हेतु तैयार किया जा रहा है। इसी प्रकार विश्वविद्यालयों को भी कौशल और नवाचार की दिशा में नए प्रयोग करने चाहिए। राजभवन में मॉडल विद्यालय बनाया जा रहा है। राजभवन के अधिकारी और कर्मचारियों ने अभियान चलाकर आसपास की बस्तियों से 75 नए बच्चों का नामांकन कराया और अभिभावकों को शिक्षा के महत्व के लिए प्रेरित किया।
राज्यपाल ने निर्देश दिया कि प्रत्येक विश्वविद्यालय में कम-से-कम पांच विभागों के बीच आंतरिक प्रतियोगिताएं आयोजित हों। इनमें जो सर्वोत्तम कौशल और नवाचार सामने आए, उसे आगे बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को केवल पढ़ाना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन्हें रोजगार उपलब्ध कराना और आत्मनिर्भर बनाना ही विश्वविद्यालयों की प्रमुख जिम्मेदारी है। विद्यार्थियों के साथ ओपन डिस्कशन कर उनके विचारों को विश्वविद्यालय की योजनाओं में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं के पास अपार कौशल होता है, इसका लाभ विश्वविद्यालयों को मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों को उनसे संबंद्ध महाविद्यालयों को नैक रैंकिंग प्राप्त करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
अपर मुख्य सचिव डॉ. सुधीर महादेव बोबडे ने कहा कि यह सफलता उच्च शिक्षा व्यवस्था के लिए गर्व की बात है और अब समय है कि विश्वविद्यालय अपनी कमियों पर भी काम करें।