क्या 'जिसके बाल सफेद हो जाएं' वह नागरिक नहीं हो सकता? जानें संदीप दीक्षित का मत!
सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है।
- नागरिकता का निर्धारण संविधान द्वारा होता है।
- राजनीतिकरण से धर्म का उपयोग नहीं होना चाहिए।
नई दिल्ली, २५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल के मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर विपक्ष चुनाव आयोग पर सख्त आलोचना कर रहा है। इस दौरान कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने मंगलवार को कहा कि एसआईआर की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है।
संदीप दीक्षित ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "देश के विभिन्न हिस्सों से रिपोर्ट आ रही हैं कि एसआईआर के कारण बीएलओ पर अत्यधिक दबाव डाला जा रहा है। जब हम अधिकारियों से संपर्क करते हैं, तो वे कहते हैं कि वे अभी एसआईआर के कार्य में व्यस्त हैं। डोर टू डोर सर्वे की प्रक्रिया पहले की तरह नहीं हो रही, तो बीएलओ पर दबाव का कारण क्या है, यह समझ में नहीं आता।"
उन्होंने आगे कहा, "पहले एसआईआर के दौरान हमें दो या तीन महीने संशोधन करने का समय मिलता था। इसके बाद सूची प्रकाशित होती थी और लोगों को सुधार का अवसर दिया जाता था, लेकिन इस बार पूरी प्रक्रिया ही पारदर्शी नहीं रही, जो कि चिंता का विषय है।"
कांग्रेस नेता ने रामभद्राचार्य के सोनिया गांधी के भारतीय न होने वाले बयानों पर कहा, "उनकी नजर में कौन भारतीय है और कौन नहीं, इसका कोई महत्व नहीं है। हमारी नागरिकता हमारे संविधान द्वारा निर्धारित की जाती है, इसे कोई व्यक्ति नहीं तय कर सकता। सोचने के लिए हर कोई स्वतंत्र है। अगर मैं कहूं कि जानवर भी नागरिक हैं या कहूं कि जिसके बाल सफेद हो जाएं, वह नागरिक नहीं होना चाहिए, तो इन सभी विचारों का कोई अर्थ नहीं है। हमारे यहां नागरिकता संविधान और नागरिकता अधिनियम से निर्धारित होती है।"
संदीप दीक्षित ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय के उस बयान का समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि हम सभी रामभक्त हैं, लेकिन सरकार इसे विज्ञापन के रूप में प्रस्तुत कर रही है। दीक्षित ने कहा, "हर व्यक्ति भक्त है। सरकार धार्मिक आयोजनों में मदद करती रही है, लेकिन अगर कोई इसे विज्ञापन की तरह दिखाने लगे तो यह धर्म का राजनीतिकरण है, जो उचित नहीं है।"