क्या 'संचार साथी' ऐप विवाद भारत को सर्विलांस स्टेट में बदलने की कोशिश है?

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क्या 'संचार साथी' ऐप विवाद भारत को सर्विलांस स्टेट में बदलने की कोशिश है?

सारांश

क्या 'संचार साथी' ऐप की अनिवार्यता भारत के नागरिकों की निजता को खतरे में डाल रही है? जानिए कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला का क्या कहना है और इस ऐप के संभावित दुष्प्रभावों के बारे में।

Key Takeaways

  • 'संचार साथी' ऐप को सभी नए मोबाइल फोनों में प्री-इंस्टॉल किया जाएगा।
  • सरकार ने सभी मोबाइल कंपनियों को इस ऐप को अनिवार्य करने का आदेश दिया है।
  • इस ऐप के माध्यम से नागरिकों की लोकेशन और डेटा का ट्रैक किया जा सकता है।
  • इस पर विपक्ष ने सरकार पर कई आरोप लगाए हैं।
  • निजता की सुरक्षा एक मुख्य चिंता का विषय है।

नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दूरसंचार विभाग के हालिया निर्णय ने पूरे देश में एक बड़ा विवाद उत्पन्न कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि भारत में निर्मित प्रत्येक नए मोबाइल फोन में 'संचार साथी' ऐप को प्री-इंस्टॉल करना अनिवार्य होगा। इस फैसले पर विपक्ष सरकार पर हमलावर है।

कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने इस मामले में कहा कि सरकार इस ऐप का उपयोग करके पूरे भारत को एक प्रकार के सर्विलांस स्टेट में बदलने का प्रयास कर रही है। सरकार ने सभी मोबाइल कंपनियों और इम्पोर्टर्स को निर्देश दिया है कि हर स्मार्टफोन और सेल फोन में यह ऐप अनिवार्य रूप से डाला जाए। इतना ही नहीं, जो पुराने मोबाइल फोन पहले से लोगों के पास हैं, उनमें भी सॉफ्टवेयर अपडेट के माध्यम से यह ऐप डाल दिया जाएगा। इससे लोगों की निजता को बड़ा खतरा उत्पन्न होता है।

उन्होंने कहा कि यदि यह ऐप हर उपयोगकर्ता के फोन में होगा, तो सरकार किसी भी नागरिक की लोकेशन ट्रैक कर सकती है। कौन कहां गया, किससे मिला और दिनभर में कौन-कौन सी जगहों पर गया, ये सब कुछ सरकार की नजर में होगा।

सुरजेवाला ने यह भी कहा कि ऐप के माध्यम से सरकार यह जान सकती है कि आपने किससे बात की, कितना समय बात की, किसको एसएमएस भेजा और व्हाट्सएप पर क्या संदेश किया। यदि यह जानकारी सरकार के पास पहुँचती है, तो यह पूरी तरह से निजता पर हमला है।

उन्होंने और भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यदि फोन में यूपीआई या बैंकिंग ऐप है, तो आपकी खरीदारी और खर्चा सब सरकार को पता चल सकता है। यहां तक कि फोन में मौजूद फ़ोटो, पासवर्ड और व्यक्तिगत डेटा तक की पहुँच भी ऐप को मिल सकती है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि यदि कभी किसी विदेशी एजेंसी या हैकर ने इस ऐप को हैक कर लिया, तो करोड़ों भारतीयों का डेटा खतरे में पड़ सकता है।

सुरजेवाला ने सवाल उठाया कि बिना किसी अनुमति, बिना किसी सार्वजनिक चर्चा और बिना साइबर सुरक्षा ऑडिट के, यह ऐप कैसे जबरदस्ती हर नागरिक पर थोप दिया जा सकता है? उन्होंने कहा कि उन्होंने यह मुद्दा संसद में उठाकर सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा है।

उन्होंने यह भी पूछा कि यदि बाद में ऐप हटाया जाना है, तो फिर इसे जबरदस्ती इंस्टॉल ही क्यों किया जा रहा है? यदि कोई व्यक्ति चाहे तो वह स्वयं ऐप स्टोर से ऐप डाउनलोड कर सकता है, तो फिर इसे फोन में डालकर हटाने का क्या मतलब है?

सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि ऐसे जबरदस्ती थोपे गए ऐप उत्तर कोरिया में उपयोग होते हैं और भारत को उसी प्रकार का देश बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

Point of View

जो नागरिकों की निजता को प्रभावित कर सकता है। हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि तकनीकी प्रगति के साथ-साथ नागरिकों के अधिकारों का भी सम्मान किया जाए।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

क्या 'संचार साथी' ऐप अनिवार्य है?
हाँ, दूरसंचार विभाग के अनुसार, नए मोबाइल फोन में 'संचार साथी' ऐप को प्री-इंस्टॉल करना अनिवार्य है।
क्या यह ऐप हमारी निजता को प्रभावित कर सकता है?
जी हाँ, कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला का मानना है कि यह ऐप नागरिकों की निजता को गंभीर खतरे में डाल सकता है।
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