क्या सामाजिक सुरक्षा के दावे असत्य हैं? इमरान मसूद का सवाल

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क्या सामाजिक सुरक्षा के दावे असत्य हैं? इमरान मसूद का सवाल

सारांश

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए सामाजिक सुरक्षा के दावों को खोखला बताया। उन्होंने कहा कि यदि सुरक्षा है तो लोग डर में क्यों जी रहे हैं? जानिए इस मुद्दे की असली तस्वीर।

Key Takeaways

  • सामाजिक सुरक्षा के दावे केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं होने चाहिए।
  • आम नागरिकों की असुरक्षा का मुद्दा गंभीर है।
  • सरकार को अपनी नीतियों की स्पष्टता लानी चाहिए।
  • जनसंख्या नियंत्रण के तहत योजनाओं में विरोधाभास है।
  • राजनीतिक लाभ की बजाय समाज की वास्तविक समस्याओं का समाधान जरूरी है।

नई दिल्ली, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने सोमवार को केंद्र सरकार की नीतियों और दावों पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने भारत को वैश्विक सामाजिक सुरक्षा रैंकिंग में दूसरे स्थान पर बताए जाने के दावे को बिल्कुल गलत करार दिया, और कहा कि ये केवल खोखले आंकड़े हैं, जिनका कोई वास्तविक आधार नहीं है।

समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से खास बातचीत में इमरान मसूद ने कहा कि अगर देश में सचमुच सामाजिक सुरक्षा है, तो आम नागरिक खुद को सड़कों, ट्रेनों और सार्वजनिक स्थलों पर असुरक्षित क्यों महसूस कर रहा है? आज देश में मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। लोग अपने पहनावे और पहचान के कारण डर में जी रहे हैं। क्या यही सामाजिक सुरक्षा है? सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी सामाजिक सुरक्षा की परिभाषा क्या है और किन आधारों पर भारत को दुनिया में दूसरे स्थान पर रखा गया है।

प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान भारत, जनधन योजना जैसे कार्यक्रमों के जरिए लोगों को सामाजिक सुरक्षा मिलने के दावों पर मसूद ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि आपने 2022 तक सबको छत देने का वादा किया था, वो छत कहां है? किसान की आमदनी दोगुनी करने की बात की थी, वह वादा कहां है? उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों में भारी विरोधाभास है। आप कहते हैं 80 करोड़ लोगों को राशन दे रहे हैं, फिर कहते हैं करोड़ों लोग गरीबी से ऊपर उठ चुके हैं। तो फिर किन्हें राशन मिल रहा है? ये आंकड़े सही हैं या वो?

उन्होंने यह भी पूछा कि जो परिवार जनसंख्या नियंत्रण का पालन कर रहे हैं, उन्हें योजनाओं से वंचित क्यों किया जा रहा है? मसूद ने कहा कि आप कहते हैं कि जनसंख्या कम करनी है, लेकिन आपकी योजनाओं में खुद ही इसका उल्टा कर देते हैं। एक तरफ आप जनसंख्या नियंत्रण की बात करते हैं, दूसरी तरफ आयुष्मान योजना में ये शर्त रख देते हैं कि जिन परिवारों में छह सदस्य (यानी चार बच्चे) होंगे, वही इस योजना का फायदा ले पाएंगे। ऐसे में जो लोग आपकी बात मानकर कम बच्चे कर रहे हैं, उन्हें तो आप कोई लाभ देना ही नहीं चाहते।

कोलकाता रेप केस में भाजपा की ओर से फैक्ट फाइंडिंग कमेटी भेजने और ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग पर भी मसूद ने बीजेपी पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि क्या भाजपा कोई इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी है? ये हर मुद्दे को राजनीति का विषय बना देते हैं। समाज में जो विकृति है, उसे समझने और सुधारने की बजाय राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश करते हैं।

संविधान की प्रस्तावना पर दत्तात्रेय होसबाले की टिप्पणी के बाद भारतीय युवा कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के लीगल सेल ने पुलिस में शिकायत दी। इस पर उन्होंने कहा कि संघ संविधान को मानता ही नहीं है। वे मनुस्मृति की व्यवस्था लागू करना चाहते हैं, जहां 90 फीसदी लोग गुलाम होंगे और 10 फीसदी लोग शासक बनेंगे। समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता संविधान की आत्मा हैं, जिन्हें हटाना दरअसल कमजोर और वंचित तबकों के अधिकार छीनने की कोशिश है।

Point of View

इमरान मसूद के सवाल महत्वपूर्ण हैं। सामाजिक सुरक्षा के दावे अगर मात्र आंकड़ों तक सीमित हैं, तो यह समाज के कमजोर तबकों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बनता है। हमें ये जानने की आवश्यकता है कि क्या वास्तव में कोई ठोस नीति है जो लोगों को सुरक्षा प्रदान करती है या फिर ये केवल एक राजनीतिक नारा है।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

इमरान मसूद ने किस मुद्दे पर सवाल उठाए?
इमरान मसूद ने केंद्र सरकार की सामाजिक सुरक्षा नीतियों और दावों पर सवाल उठाए हैं।
भारत की सामाजिक सुरक्षा रैंकिंग में दूसरा स्थान क्यों खारिज किया गया?
उन्होंने इसे केवल खोखले आंकड़े बताया, जिनका कोई वास्तविक आधार नहीं है।
किस प्रकार की घटनाओं का संदर्भ दिया गया?
मॉब लिंचिंग की घटनाओं और लोगों के डर में जीने का उल्लेख किया गया।
क्या सरकार की योजनाएं सही हैं?
मसूद ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों में भारी विरोधाभास है।