क्या सत्य साईं बाबा वास्तव में शिरडी के साईं बाबा के अवतार थे?
सारांश
Key Takeaways
- सत्य साईं बाबा का जन्म 23 नवंबर 1926 को हुआ था।
- वे पुट्टपर्ती के निवासी थे।
- उनके चमत्कारों ने उन्हें प्रसिद्ध किया।
- उन पर कई विवाद भी रहे हैं।
- उनके अनुयायी विभिन्न धर्मों से आते हैं।
नई दिल्ली, 22 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सत्य साईं बाबा का नाम सुनते ही लोगों के मन में श्रद्धा और रहस्य दोनों का समावेश होता है। सत्य साईं बाबा, जिनका असली नाम रत्नाकरम सत्यनारायण राजू था, 23 नवंबर 1926 को आंध्र प्रदेश के पुट्टपर्ती गांव में जन्मे थे। उनके जीवन और चमत्कारों को देखकर भक्तों का मानना है कि वे शिरडी साईं बाबा के दूसरे अवतार थे।
सत्यनारायण राजू जब 1940 में 14 साल के थे, तब एक बिच्छू द्वारा काटे जाने के बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई। जब वे होश में आए, तो उन्होंने संस्कृत में बोलना शुरू कर दिया, जिसे उन्होंने पहले कभी नहीं पढ़ा था। इसके बाद उन्होंने अपने परिवार को आश्चर्यचकित करते हुए हवा में मिठाई और फूल निकालकर दिखाए। उनके पिता ने इस पर गुस्से में सच्चाई पूछी, तब सत्य साईं ने कहा कि वे शिरडी साईं बाबा के अवतार हैं।
इसके बाद उनके आसपास लोगों की भीड़ बढ़ने लगी। पहले तो गुरुवार को भजन होते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह रोजाना होने लगे। 1944 में उनके भक्तों ने उनके लिए एक मंदिर बनवाया। 1948 में पुट्टपर्ती में एक बड़ा आश्रम स्थापित किया गया, जिसे प्रशांति निलयम कहा गया। यह उनके जीवन का मुख्य केंद्र बन गया।
सत्य साईं बाबा का आकर्षण केवल उनके चमत्कारों में नहीं था। उनके भक्त बताते हैं कि उन्होंने कभी किसी को अपना धर्म छोड़ने के लिए नहीं कहा। इसीलिए उनके अनुयायी विभिन्न धर्मों से थे। उनकी प्रसिद्धि के पीछे उनके चमत्कारों का भी बड़ा योगदान था। वे हवा में हाथ घुमा कर भभूत निकालते थे और कई बार महंगी वस्तुएं भी निकाल देते थे।
हालांकि, सत्य साईं बाबा के जीवन में विवाद भी आए। उन पर यौन दुराचार, धन शोधन, और धोखाधड़ी जैसे गंभीर आरोप लगे। उनके अनुयायी इन आरोपों को अफवाह मानते हैं। इसके बावजूद, उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई। कई प्रधानमंत्री, जज, सेना के जनरल और फिल्मी हस्तियों जैसे ऐश्वर्या राय, सचिन तेंदुलकर, सुनील गावस्कर आदि पुट्टपर्ती में उनके आश्रम में आशीर्वाद लेने आते रहे।
अब प्रश्न यह है कि क्या वे वास्तव में शिरडी साईं बाबा के अवतार थे? इसका उत्तर किसी के लिए भी स्पष्ट नहीं है। कुछ के लिए, सत्य साईं बाबा निश्चित रूप से वही दिव्य शक्ति थे जो शिरडी साईं बाबा थे। हालांकि, आलोचक उनके जीवन में आए कई विवादों और आरोपों को उनकी दिव्यता पर सवाल उठाने के रूप में देखते हैं।