क्या बिहार ने लालू का शासनकाल देखा है, क्या तेजस्वी भी उनके कदम पर चलेंगे?
सारांश
Key Takeaways
- बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
- नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के कार्यकाल की सराहना की गई है।
- कर्पूरी ठाकुर को जननायक मानने पर जोर दिया गया है।
पटना, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव का प्रचार अब जोर पकड़ चुका है। सत्ता और विपक्ष एक-दूसरे पर तीखे आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं। इस संदर्भ में, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने बुधवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार की जनता उनके माता-पिता के शासनकाल को भली-भांति जानती है। तेजस्वी भी उन्हीं के रास्ते पर चलेंगे, यह बिहार की जनता अच्छी तरह जानती है।
पटना में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने मगही की एक कहावत "बापे पूत पराते घोड़ा, कुछ नहीं तो थोड़ा-थोड़ा" का उल्लेख किया और कहा कि तेजस्वी यादव के माता-पिता का जंगलराज और आतंकराज बिहार ने देखा है। उस समय विकास का कोई नामो-निशान नहीं था। बिहार हर दिशा से परेशान था।
उन्होंने आगे कहा, "नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की डबल इंजन सरकार ने बिहार की स्थिति में सुधार किया है। अब वे कलंक को धोने के लिए दिखावटी बातें कर रहे हैं। वे फर्जी घोषणा पत्र जारी कर रहे हैं। बिहार की जनता इतनी भोली नहीं है कि जंगलराज को भूल जाए।"
उन्होंने यह भी कहा कि तेजस्वी यादव के पिता जिस मार्ग पर चले थे, उसी मार्ग पर तेजस्वी भी चलेंगे, यह बिहार की जनता जानती है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि महागठबंधन का घोषणा पत्र केवल कागजी खानापूर्ति है। इसमें कोई वास्तविकता नहीं है। सच्चाई तक पहुँचने में इन्हें काफी समय लगेगा। अभी कुछ नहीं हो सकता।
'जननायक' के संदर्भ में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर हैं। जो लोग खुद को जननायक कहते हैं, वे कर्पूरी ठाकुर का अपमान कर रहे हैं। आम जनता जननायक की उपाधि देती है। खुद से कहने से यह नहीं होता। उन्होंने कहा कि ये लोग ना सिर्फ कर्पूरी ठाकुर का, बल्कि अति पिछड़े समाज का भी अपमान कर रहे हैं।