क्या विपक्ष हार के डर से ईवीएम और एसआईआर पर सवाल उठा रहा है?: जगदंबिका पाल

सारांश
Key Takeaways
- मतदाता सूची में अद्यतन होना आवश्यक है।
- ईवीएम और एसआईआर पर उठ रहे सवालों का राजनीतिक असर हो सकता है।
- विपक्ष की आलोचना से चुनाव आयोग की प्रक्रिया प्रभावित नहीं होनी चाहिए।
नई दिल्ली, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के बाद अब पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कराने जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद जगदंबिका पाल ने चुनाव आयोग के इस कदम की सराहना करते हुए विपक्ष पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष हार के डर से पहले ईवीएम और अब एसआईआर पर सवाल उठा रहा है।
भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने बुधवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "एक निष्पक्ष चुनाव के लिए आवश्यक है कि मतदाता सूची पारदर्शी हो, जिसके लिए चुनाव आयोग सत्यापन कराता है। जो लोग 18 वर्ष के हो गए हैं, अगर उनका नाम मतदाता सूची में नहीं है तो उन्हें जोड़ने की प्रक्रिया की जाती है। वहीं, जिनकी मृत्यु हो गई है, उनके नाम को हटाया जाता है। यदि कोई रोहिंग्या, बांग्लादेशी या नेपाली अवैध रूप से मतदाता बना है, तो उसका नाम भी हटाया जाता है। बिहार और बंगाल में कई अवैध प्रवासियों को आधार कार्ड मिल गए हैं।
उन्होंने कहा, "भारत के नागरिकों को ही वोट देने का अधिकार है। चाहे बंगाल हो या बिहार, चुनाव आयोग का दायित्व है कि वो मतदाता सूची से अवैध लोगों के नाम हटाए और वे ऐसा कर रहे हैं। लेकिन, एसआईआर को लेकर विपक्ष लोकसभा नहीं चलने दे रहा है। अगर किसी का नाम कटा है तो वे चुनाव आयोग को आपत्ति दे सकते हैं, चाहे उनका धर्म, जाति या संप्रदाय कुछ भी हो।"
भाजपा सांसद ने कहा, "विपक्ष एसआईआर को लेकर सदन को नहीं चलने दे रहा है और लोगों को गुमराह कर रहा है। विशेष रूप से अवैध बांग्लादेशी जो मतदाता बन गए हैं, विपक्ष उन्हें बनाए रखना चाहता है। विपक्ष जानता है कि वे चुनाव हारने वाले हैं, इसलिए वे हार का बहाना बना रहे हैं। पहले वे ईवीएम को जिम्मेदार ठहराते थे और अब मतदाता सूची को।"
पश्चिम बंगाल विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष एवं भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी पर हुए हमले की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, "उनके काफिले पर हमला करना, जबकि उन्हें भारत सरकार से सुरक्षा मिली हुई है, यह राज्य प्रायोजित हिंसा है। इसमें राज्य की ममता सरकार का हाथ है।"