क्या विपक्ष मराठी मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रहा है? : योगेश कदम

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क्या विपक्ष मराठी मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रहा है? : योगेश कदम

सारांश

महाराष्ट्र में हिंदी भाषा विवाद को लेकर मंत्री योगेश कदम ने विपक्ष पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने इसे राजनीतिक ड्रामा करार दिया है, साथ ही मराठी भाषा को अनिवार्य करने के अपने निर्णयों का भी बचाव किया है। क्या ये आरोप आगामी बीएमसी चुनावों से जुड़े हैं? आइए जानते हैं।

Key Takeaways

  • मराठी भाषा को अनिवार्य किया गया है।
  • हिंदी पर कोई सख्ती नहीं की गई है।
  • विपक्ष चुनावी लाभ के लिए हिंदी विवाद को उठा रहा है।
  • राज और उद्धव ठाकरे का मोर्चा महत्वपूर्ण है।
  • मंत्री कदम का स्पष्ट रुख है कि मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलेगा।

रत्नागिरी, 27 जून (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में हिंदी भाषा विवाद को लेकर मंत्री योगेश रामदास कदम ने विपक्ष पर तीखा प्रहार करते हुए इसे विपक्ष का राजनीतिक ड्रामा बताया है।

मंत्री योगेश कदम ने शुक्रवार को हिंदी भाषा विवाद पर विपक्ष के आरोपों पर समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत की। उन्होंने कहा, "मेरे विचार में, यह पूरी तरह से राजनीतिक ड्रामा है। महाराष्ट्र में हर किसी को मराठी आनी चाहिए। हम इसे शुरू से कहते आ रहे हैं और आगे भी कहेंगे। हम इससे पीछे नहीं हट रहे हैं। हमने महाराष्ट्र के हर स्कूल में मराठी को अनिवार्य कर दिया है। हमने हिंदी को लेकर कोई सख्ती नहीं की है।"

मंत्री योगेश कदम ने आगे कहा कि आगामी बीएमसी चुनाव को ध्यान में रखते हुए विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर मराठी मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रही है। यह मुद्दा केवल मराठी मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए उठाया जा रहा है। जल्द ही मुंबई निगम चुनाव घोषित होने वाले हैं। उन्होंने कहा, "मराठी मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने के लिए विपक्ष ने हिंदी थोपने का एजेंडा उठाया है। जबकि सीएम देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया है कि हमने महाराष्ट्र में हिंदी की सख्ती नहीं की है। राज्य सरकार ने हिंदी को अनिवार्य नहीं किया है। हिंदी के साथ-साथ अन्य भाषाओं के भी विकल्प दिए गए हैं और छात्र इनमें से किसी भी भाषा का चयन कर सकते हैं।"

मंत्री योगेश कदम ने 26 जून को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, "मराठी भाषा अनिवार्य है, हिंदी अनिवार्य नहीं है। हमारे महाराष्ट्र में मराठी भाषा अनिवार्य है, हिंदी भाषा को राज्य सरकार ने बिल्कुल भी अनिवार्य नहीं किया है। आगामी चुनावों से पहले मराठी भाषा पर राजनीति करना ठीक नहीं है। जो सरकार मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देगी, वह कभी मराठी के खिलाफ नहीं होगी।"

दूसरी ओर, हिंदी भाषा विवाद पर राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे 5 जुलाई को संयुक्त रूप से मोर्चा निकालने वाले हैं। वर्षों बाद यह ऐसा मौका होगा जब दोनों भाई एक मंच से एक मुद्दे के लिए आवाज उठाएंगे।

Point of View

बल्कि यह राजनीतिक रणनीति का भी एक हिस्सा है। विपक्ष का हिंदी भाषा विवाद को उठाना और मराठी मतदाताओं को लुभाने का प्रयास करना दर्शाता है कि चुनावी मौसम में कैसे मुद्दों का राजनीतिकरण किया जाता है।
NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

क्या हिंदी भाषा महाराष्ट्र में अनिवार्य है?
नहीं, मंत्री योगेश कदम ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार ने हिंदी को अनिवार्य नहीं किया है।
क्या विपक्ष मराठी मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रहा है?
हां, मंत्री कदम के अनुसार, विपक्ष आगामी बीएमसी चुनावों को ध्यान में रखते हुए ऐसा कर रहा है।
कौन से भाषाई विकल्प छात्रों को दिए गए हैं?
छात्रों को हिंदी के साथ-साथ अन्य भाषाओं का भी विकल्प दिया गया है।
क्या राज और उद्धव ठाकरे का मोर्चा महत्वपूर्ण है?
हां, यह वर्षों बाद दोनों भाइयों का एक साथ मंच पर आना है, जो इस मुद्दे पर एकजुटता दर्शाता है।
मंत्री योगेश कदम का रुख क्या है?
उन्होंने मराठी भाषा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है और हिंदी विवाद को राजनीतिक ड्रामा बताया है।