क्यों नहीं आई कांग्रेस ठाकरे बंधुओं की सभा में? भाजपा के सवाल पर विजय वडेट्टीवार ने क्या कहा?

सारांश
Key Takeaways
- ठाकरे बंधुओं की सभा में कांग्रेस की अनुपस्थिति ने कई सवाल उठाए।
- कांग्रेस ने कहा कि इसकी कोई खास वजह नहीं थी।
- भाषा के थोपे जाने के खिलाफ कांग्रेस के नेता ने अपनी राय व्यक्त की।
- महाराष्ट्र की संस्कृति और विकास में मराठी लोगों का योगदान महत्वपूर्ण है।
- ठाकरे बंधुओं ने 20 साल बाद एक मंच साझा किया।
नागपुर, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की 'विजय उत्सव रैली' चर्चा का विषय बनी हुई है। 5 जुलाई को वर्ली में ठाकरे बंधुओं की एक विशाल सभा आयोजित की गई, जिसमें कांग्रेस का कोई नेता उपस्थित नहीं था। इस पर उठे सवालों का जवाब देते हुए कांग्रेस ने कहा कि 'जाने की कोई खास वजह नहीं थी, हम पहले से व्यस्त थे।'
कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने स्पष्ट किया, "यह दो भाइयों का मिलन समारोह था, और उन्होंने मराठी अस्मिता के संदर्भ में कार्यक्रम रखा था। इसमें हमारी अनुपस्थिति से भाजपा को चिंता क्यों हो रही है? हमारी शिवसेना (उद्धव गुट) के साथ महा विकास आघाड़ी में गठबंधन पहले जैसा ही मजबूत है। जब ज़रूरत होगी, हम सब एक साथ आएंगे।"
उन्होंने यह भी कहा कि वे भाषा विरोध नहीं बल्कि 'भाषा के थोपे जाने' के खिलाफ हैं। उन्होंने प्रश्न उठाया कि हम सब हिंदी पढ़ते हैं, लेकिन इसे पहली कक्षा से क्यों पढ़ाना चाहिए, जब महाराष्ट्र में मराठी प्राथमिक भाषा है? राज ठाकरे ने अपने भाषण में कहा था कि "हिंदी बोलने वाले राज्य पिछड़े हुए हैं।" इस पर कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्होंने भाषण सुना और कई बिंदुओं से सहमति जताई।
उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र देश की आर्थिक राजधानी है। यहाँ की संस्कृति, उद्योग, और विकास में मराठी लोगों का बड़ा योगदान है। महाराष्ट्र की पहचान उसकी मेहनत, प्रगति और आत्मसम्मान से बनी है।" उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा शुरू किए गए 'महाराष्ट्र धर्म' पॉडकास्ट पर कांग्रेस ने भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा, "अगर यह पॉडकास्ट छत्रपति शिवाजी महाराज के आदर्शों को बढ़ावा देगा, तो हम इसका स्वागत करते हैं।"
ज्ञात हो कि शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने शनिवार को कई वर्षों बाद एक मंच साझा किया। शिवसेना (यूबीटी) की प्रवक्ता किशोरी पेडनेकर ने इसे खुशी का दिन बताया। महाराष्ट्र सरकार के थ्री लैंग्वेज पॉलिसी के वापस लिए जाने के बाद, ठाकरे बंधुओं ने 5 जुलाई को 'विजय उत्सव' का आयोजन किया था। इस सभा में ठाकरे बंधु 20 साल बाद एक मंच पर दिखाई दिए। अन्य गठबंधन के साथी भी मौजूद थे लेकिन कांग्रेस का कोई नेता नहीं आया, जिसके कारण कई सवाल उठने लगे हैं।