क्या मधुमालती, सेहत का रामबाण इलाज है?

सारांश
Key Takeaways
- मधुमालती सेहत के लिए लाभकारी है।
- इसका उपयोग डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- सर्दी-जुकाम में काढ़ा बनाकर सेवन करें।
- चिकित्सक की सलाह लेना आवश्यक है।
- प्राचीन ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है।
नई दिल्ली, 19 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मधुमालती, जो सामान्यतः घरों और बाग-बगीचों की खूबसूरती में इजाफा करती है, एक गुलाबी-सफेद लता है जिसका आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान है। यह त्वचा, पाचन, बुखार और डायबिटीज जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में मददगार साबित होती है।
मधुमालती भारत के साथ-साथ फिलीपींस और मलेशिया में भी पाई जाती है। इसे अंग्रेजी में रंगून क्रीपर, चायनीज में हनीसकल, बंगाली में मधुमंजरी, तेलुगू में राधामनोहरम, असमिया में मालती, और झुमका बेल के नाम से जाना जाता है। पौधे का बोटैनिकल नाम 'कॉम्ब्रेटम इंडिकम' है और यह कैप्रीफोलिआसी परिवार से संबंधित है। इसकी लगभग 180 प्रजातियां हैं, जिनमें से लगभग 100 प्रजातियां चीन में, 20 भारत में, 20 यूरोप में और 20 उत्तरी अमेरिका में पाई जाती हैं।
मधुमालती रात में खिलते समय सफेद होती है, लेकिन सूर्य की रोशनी में यह गुलाबी और फिर लाल रंग में बदल जाती है। एक ही गुच्छे में कई फूल होते हैं।
प्राचीन ग्रंथ रसजलनिधि के चतुर्थ खंड के अध्याय 3 में मधुमालती का उल्लेख किया गया है, जिसमें कई औषधीय गुण शामिल हैं। सर्दी-जुकाम और कफ की स्थिति में इसका काढ़ा बनाकर सेवन करना भी लाभकारी हो सकता है। इसके लिए 1 ग्राम तुलसी के पत्तों के साथ 2-3 लौंग, 1 ग्राम मधुमालती के फूल और 2 पत्तों को मिलाकर काढ़ा बनाना चाहिए। दिन में 2-3 बार इसका सेवन करने से सर्दी-जुकाम में राहत मिल सकती है।
इसके सूजन-रोधी गुण इसे गठिया के दर्द और सूजन से राहत दिलाने में भी सहायक बनाते हैं।
मधुमालती के 5-6 पत्तों या फूलों का रस निकालकर दिन में दो बार लेने से डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
हालांकि, इसके सेवन के कई फायदे हैं, लेकिन किसी भी औषधीय उपयोग से पहले चिकित्सक या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह लेना आवश्यक है, क्योंकि वे आपकी स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार सही खुराक और उपयोग विधि बता सकते हैं।