क्या मध्य प्रदेश के इन शक्तिपीठों में आज भी होते हैं चमत्कार?

सारांश
Key Takeaways
- मध्य प्रदेश के शक्तिपीठ धार्मिक आस्था का केंद्र हैं।
- इन स्थलों पर नवरात्रि के दौरान विशेष आयोजन होते हैं।
- हर शक्तिपीठ की अपनी मान्यता और इतिहास है।
- भक्तों का मानना है कि यहाँ चमत्कार होते हैं।
- इन स्थलों का सांस्कृतिक महत्व भी है।
भोपाल, २४ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। शारदीय नवरात्रि देवी दुर्गा और उनकी विभिन्न शक्तियों की उपासना का एक महान पर्व है। इस दौरान देशभर के देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखी जाती है। मध्य प्रदेश में भी कई शक्तिपीठ और प्राचीन मंदिर हैं, जहाँ श्रद्धालुओं की संख्या विशेष रूप से बढ़ जाती है।
अवंति शक्तिपीठ: यह शक्तिपीठ मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में शिप्रा नदी के पूर्वी तट पर स्थित है। इसे भैरव पर्वत मंदिर भी कहा जाता है। मान्यता है कि यहाँ माता सती का ऊपरी होंठ गिरा था। इस कारण इसे 51 शक्तिपीठों में विशेष स्थान प्राप्त है। यहाँ माता को मां अवंती के रूप में पूजा जाता है और भगवान शिव की पूजा लम्बकर्ण के रूप में होती है। नवरात्रि के समय यहाँ विशेष पूजन, भंडारा और भव्य आयोजन होते हैं।
कालमाधव शक्तिपीठ: यह अमरकंटक में स्थित है और धार्मिक दृष्टि से बेहद पवित्र माना जाता है। यहाँ देवी सती का बायां नितंब गिरा था। देवी को काली रूप में पूजा जाता है, जबकि भगवान शिव कालमाधव रूप में विराजमान हैं। नवरात्रि पर यहाँ विशेष धार्मिक अनुष्ठान और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है।
नर्मदा शक्तिपीठ: अमरकंटक में स्थित इस शक्तिपीठ को भी अत्यंत पवित्र माना गया है। मान्यता है कि यहाँ माता सती का दायां नितंब गिरा था। देवी नर्मदा को यहाँ पूजा जाता है और भैरव भद्रसेन के रूप में विराजमान हैं। यहाँ नवरात्रि के अलावा मकर संक्रांति, शरद पूर्णिमा, रामनवमी और दीपावली जैसे त्योहारों पर विशेष उत्सव मनाया जाता है।
इसके अलावा, भारत-नेपाल सीमा के निकट बलरामपुर जिले के पाटन गांव में स्थित देवीपाटन शक्तिपीठ का भी विशेष महत्व है। यहाँ माता सती का बायां कंधा गिरा था। इस स्थान को देवीपाटन कहा जाता है, और नवरात्रि के दौरान यहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।